Monsoon In Gorakhpur: गोरखपुर और उसके जिलों में बरसात न होने से किसान बेहाल है. बादलों को बस आने वाला आषाढ़ माह इस बार किसानों को तरसाने का काम कर गया तो सावन माह में भी किसानों के पसीने छूट रहे हैं. मौसम की इस मार से किसान बेहाल है और किसानी अबकी बार किसानों के लिए पहाड़ जैसा दिख रहा है. रोपे गए धान पीले हो रहे.
बरसात न होने से खेतों में दरारे पड़ गए हैं धान पीले हो रहे हैं. अगर कुछ दिनों में बरसात नहीं हुई तो फसलें खेत में ही सूख जाएंगी. अभी गोरखपुर और पूर्वांचल के बहुत से किसानों ने बरसात के इंतजार में धान की रोपाई तक नहीं की है. पूर्वांचल सहित गोरखपुर में बरसात ना होने से खेतों में रोपे गए धान पीले हो रहे हैं जिससे किसानों के चेहरे पीले पड़ते जा रहे हैं. किसानों के लिए यह हालत हाहाकारी है. किसान पूरे साल में बरसात का इंतजार करते रह गए लेकिन बरसात नहीं हुई और सावन माह शुरू होने के बाद भी अभी बरसात का कोई अता-पता नहीं है. हर गुजरते दिन के साथ की स्थितियां किसानों के लिए और भी खराब होती जा रही है. मौसम के जानकारों के अनुसार, आमतौर पर एक से 10 जुलाई के बीच 100 मिलीमीटर से अधिक बारिश हो जाती है, लेकिन इस बार जिले में केवल 11 मिलीमीटर बारिश हुई है. इससे पहले साल 2010 में 17 मिलीमीटर बारिश हुई थी. वहीं, साल 2020 में एक से 10 जुलाई के बीच 203 और 2021 में 109.8 मिलीमीटर बारिश हुई थी.
अंदाजा लगाया जा रहा है कज मौसम की मार से फसलों में रोग व कीड़े लग रहे हैं. इस बार धान व गन्ने के उत्पादन में कमी की आशंका है. पूर्वांचल के देवरिया, गोरखपुर, आजमगढ़, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, महाराजगंज, बनारस, मिर्जापुर सहित कई जिलों में बरसात कम होने की वजह से अन्नदाता मायूस हैं. पूर्वांचल के कई जिलों के किसानों ने धान की रोपाई तो कर दी है लेकिन बरसात न होने की वजह से खेतों में दरार पड़ गए हैं. रोपे गए धान खेतों में ही पीले हो रहे हैं. कई जगहों पर किसान पंपिंग सेट या नलकूप से खेतो की सिंचाई कर रहे हैं लेकिन वह धान की फसल के लिए काफी नहीं है. देखना है कि बरसात अब कब तक होती है? अगर कुछ दिनों तक बरसात नहीं हुई तो इसका हर्जाना किसानों को उठाना पड़ जाएगा.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप