Varanasi News: भगवान शंकर को यूं तो जल, बेलपत्र और भांग चढ़ाकर भक्त प्रसन्न करते हैं, लेकिन काशी में भक्त अपने श्रद्धाभाव के हिसाब से उन्हें प्रसाद चढ़ाते हैं. शायद यही वजह है कि बाबा विश्वनाथ को बनारसी पान समेत चाट, गोलगप्पा तक भक्त चढ़ाते हैं. इसीलिए लोग बनारस और बनारसियों को पूरी दुनिया से अनोखा मानते हैं.
काशी के नाथ बाबा विश्वनाथ के भक्तों की संख्या विश्व में है. भक्त बाबा के प्रति इतने आस्थावान हैं कि दान में धन-दौलत देने के साथ ही बाबा के पसंदीदा भोग को भी लेकर अपनी भक्ति दिखाने से पीछे नहीं हटते. बात यदि काशी के भक्तों की हो तो फिर कैसे कोई चूक हो सकती है. काशी के भक्त बाबा को बनारसी पान के स्वाद से तर किये रहते हैं. पूरी दुनिया जानती हैं कि मंदिर और बनारस की गलियां और घाटों के अलावा बनारस की पहचान बनारसी साड़ी और पान को माना जाता है. यहां का बनारसी पान पूरी दुनिया में मशहूर है. नाथों के नाथ बाबा विश्वनाथ भी बनारसी पान पसंद करते हैं. यही वजह है कि हर दिन चारों पहर की आरती के बाद बाबा विश्वनाथ को बनारसी पान का भोग लगाया जाता है.
ये बनारसी पान काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब ढूंढ़ी राज गणेश मंदिर गली में भुल्लन पान की दुकान से हर दिन बाबा के भोग प्रसाद के लिए तैयार होकर आता है. बाबा के लिए एकदम स्पेशल पान तैयार किया जाता है. पान का बीड़ा भी बेहद खास होता है. सिंगाड़े स्वरूप में बंधे इस पान को भोर की मंगला आरती से लेकर शाम की शयन आरती के बाद बाबा को चढ़ाया जाता है. बीते 150 साल से भुल्लन पान वाले इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. काशी में पान खाने की परंपरा धर्म से जुड़ी है. बनारसी पान को प्रसाद के रूप में माथे लगाकर ग्रहण करते हैं. भुल्लन पान वाले आरती की थाली में बाबा को पान चढ़ाते हैं. इसके बाद पान का भोग लगाया जाता है. दुकान के मालिक भूल्लन पटेल ने बताया कि तीन पीढ़ी से भोग के लिए बाबा को पान हमारे यहां से जाता है. शाम की आरती में भी बाबा विश्वनाथ को हमारे यहां के ही पान का भोग लगाया जाता है. बाबा को पान चढ़ाना हमारी उनके प्रति श्रद्धा का भाव है. बाबा के आशीर्वाद से ही हमारा परिवार चलता है. बाबा को चढ़ाए जाने वाले पान का आकार बिल्कुल अलग होता है. इसका सिंघाड़ा जैसा आकार होता है.
बाबा के पान को शुद्धता के साथ बनाया जाता है. इसमें चूना, कत्था, ताम्बूल और लौंग लगाया जाता है. इसको हमारे दादा (भूल्लन के) ने शुरू किया था. अब यह परम्परा बन गई है. हमारी तीन पीढ़ियों से यह काम हो रहा है. बाबा की पांच प्रहर में आरती होती है लेकिन मंगला आरती और सप्त ऋषि आरती में हमारे यहां के ही पान का भोग लगाया जाता है. बाबा के इस भोग का प्रसाद लेने के लिए बहुत लोग आते रहते हैं.
रिपोर्ट : विपिन सिंह