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Sawan 2022: अब्बू के बाद अब मोहम्मद वसीम कांवरियों के टी-शर्ट पर करते हैं पेंटिंग, खानदानी पेशा बनाया

Shravani Mela 2022: श्रावणी मेला शुरू होते ही सुल्तानगंज में कांवरियों की भीड़ उमड़ पड़ी है. मोहम्मद वसीम अपना खानदानी पेशा पकड़ चुके हैं और डाक कांवरियों के टी-शर्ट पर बनियान पर नाम-पता वगैरह लिख रहे हैं.

Shravani Mela 2022: संजीव, भागलपुर: दुनिया का सबसे लंबा श्रावणी मेला की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां सभी धर्मों के लोग एक साथ मिल कर काम करते हैं. उद्देश्य सिर्फ यह होता है कि बाबा नगरी की यात्रा पर जानेवाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं हो. ऐसे ही लोगों में एक मोहम्मद वसीम सुलतानगंज सीढ़ी घाट के पास एक दुकान में पेंट करते दिखे.

वसीम का खानदानी पेशा

वसीम डाक बम की टी-शर्ट पर बम का नाम, मोबाइल नंबर आदि पेंट कर रहे थे. इसके बदले 20 से 50 रुपये तक चार्ज ले रहे थे. उनका कहना था कि यह उनका खानदानी पेशा है. पिता मो शनीफ ने यह काम 40 वर्ष पहले शुरू किया था. अब अपने भाई के साथ यह काम करते हैं.

मोहम्मद वसीम के पास जाते हैं कांवरिये

सुल्तानगंज में गंगा घाट से बाहर निकलते ही सड़क मार्ग पर सड़क किनारे कांवर, भोजन, जलपात्र, कपड़े वगैरह की दुकानें हैं. इन दुकानों के बीच एक ऐसा दुकान और दुकानदार परिवार है जो श्रावणी मेले में अलग संदेश देता है. यह मेला सभी धर्म के लोगों से जुड़ा है, इसका एक उदाहरण यहां देखने को मिलता है. सड़क किनारे डाक बमों का जत्था मोहम्मद वसीम को घेरे हुए दिखता है. सभी डाक बम अपने टी-शर्ट/ बनियान में नाम-पता वगैरह लिखवाते मिलते हैं.

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खगड़िया के वसीम का यह खानदानी पेशा

कांवरियों के टी-शर्ट में नाम-पता वगैरह का छापा लगा रहे परबत्ता खगड़िया निवासी मोहम्मद वसीम ने प्रभात खबर को बताया कि वो करीब 10 साल से ये काम कर रहे हैं. उससे भी आगे उन्होंने जानकारी दी कि ये उनका खानदानी पेशा बन चुका है. उनसे पहले उनके पिता इसे संभालते रहे.

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वसीम के पिता शेख शनीफ भी वहां मौजूद थे. उन्होंने बताया कि जब से ये पुराना सीढ़ी घाट बना है तब से ये काम वो कर रहे हैं. शेफ शनीफ ने कहा कि 40 साल से अधिक समय बीत गया जो इस काम को हर साल वो करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि वो लोग तीन महीने तक इस काम को यहां करते हैं. सावन, भादो, आश्विन महीने तक यानी दुर्गा पूजा तक यहां काम करते हैं और उसके बाद वापस हो जाते हैं. बताया कि अब उनके बेटे भी इस कार्य से जुड़ गये हैं और सभी मिलकर ये कर रहे हैं.

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टी-शर्ट पर नाम-पता लिखवाने की वजह

इस काम को लेकर वसीम ने बताया कि कांवरिया अपने कपड़ों पर नाम-पता या मोबाइल नंबर इसलिए लिखवाते हैं ताकि रास्ते में वो कहीं अचेत भी होकर गिर पड़ें तो उनके घर के पते पर संपर्क किया जा सके. बताया कि ये रंग छूटता नहीं है. कलर और फेविकॉल के मिश्रण से इसे तैयार किया जाता है.

Published By: Thakur Shaktilochan

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