Varanasi News: सावन का पहला सोमवार और देवादिदेव महादेव के भक्ति आराधना के पर्व को लेकर वैसे तो आपने सभी तैयारियां लगभग पूरी कर ली होंगी. लेकिन इस पूजन के विधि-विधान में बहुत कुछ ऐसा होता है जो बिना ज्योतिष और पण्डित के बता नहीं चलता. तो इस मौके पर आइए जानते हैं काशी के ज्योतिष पण्डित ऋषि द्विवेदी ने भक्तों के लिए भोलेनाथ की पूजा के लिए क्या कुछ बताया है.
पण्डित ऋषि द्विवेदी बताया कि जो भी भक्त सावन मास में भगवान भोलेनाथ की भक्ति पूजा करता है उसे अर्थ-काम- मोक्ष की प्राप्ति होती हैं. भगवान शिव की महत्ता ज्योतिष शास्त्र में ज्यादा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि सावन में भगवान शिव की पूजा करने से जीवन सफल हो जाता है और भक्तों को समस्त कष्टों से छुटकारा मिल जाता है. सावन में शिव की आराधना से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
दरअसल, देवों के देव महादेव ने सृष्टि की रक्षा के लिए समुद्र मंथन से निकला हलाहल विष पी लिया था. विष का ताप इतना ज्यादा था कि इंद्र देव ने बारिश करके उन्हें शीतल किया था. देवासुर संग्राम में समुद्र मंथन से निकले विष को शिव जी ने पी लिया था. इससे उनका शरीर बहुत ही ज्यादा गर्म हो गया जिससे शिवजी को काफी परेशानी होने लगी थी. भगवान शिव को इस परेशानी से बाहर निकालने के लिए इंद्रदेव ने जमकर बारिश करवाई थी. कहते हैं कि यह घटना सावन माह में घटी थी. इस प्रकार से शिव जी ने विषपान करके सृष्टि की रक्षा की थी.
तभी से यह मान्यता है कि सावन के महीने में शिव जी अपने भक्तों का कष्ट अति शीघ्र दूर कर देते हैं. इसलिए सावन माह में उज्जैन, हरिद्वार, वाराणसी, देवघर जैसे अन्य तीर्थ स्थलों पर शिव के भक्तों का सैलाब देखने को मिलता है. सभी देवी-देवताओं में भगवान शिव की पूजा विधि सबसे आसान मानी जाती है.
सावन में सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें. इसके बाद अपने घर के आसपास के शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव का गंगाजल और दूध से जलाभिषेक करें. इसके बाद शिवलिंग पर सभी तरह की पूजा सामग्री को अर्पित करें और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें.
रिपोर्ट- विपिन सिंह