प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सोमवार को नए संसद भवन पर बने अशोक स्तंभ का अनावरण किए जाने के बाद से विपक्ष हमलावर है. विपक्षी दलों ने पीएम मोदी द्वारा किये गये अनावरण की आलोचना करते हुए कहा कि यह संविधान का उल्लंघन है जो कार्यपालिका और विधायिका के बीच अधिकारों का विभाजन करता है. बयान पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने भी एक ट्वीट किया. उन्होंने ट्वीट में कहा, अनुपात और परिप्रेक्ष्य की भावना होनी चाहिए. सुंदरता को देखने वाले की आंखों में झूठ के रूप में प्रसिद्ध माना जाता है. शांत और क्रोध के साथ भी ऐसा ही है. मूल सारनाथ प्रतीक 1.6 मीटर ऊंचा है जबकि नए संसद की बिल्डिंग के शीर्ष पर स्थित प्रतीक 6.5 मीटर ऊंचाई पर विशाल है.
Sense of proportion & perspective.
Beauty is famously regarded as lying in the eyes of the beholder.
So is the case with calm & anger.
The original #Sarnath #Emblem is 1.6 mtr high whereas the emblem on the top of the #NewParliamentBuilding is huge at 6.5 mtrs height. pic.twitter.com/JsAEUSrjtR— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) July 12, 2022
इससे पहले विपक्ष ने कहा था कि अशोक स्तंभ का अनावरण पीएम मोदी को नहीं बल्की लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को करना चाहिए था. मगर अब विपक्षी दल अशोक स्तंभ पर बने शेरों पर सवाल उठा रहे हैं. कहा जा रहा है कि अशोक स्तंभ पर बने शेर भारतीय परंपरा से मेल नहीं खाते हैं. पहले वाले शेर शांत थे, नए वालें आक्रमक हैं.
मैं 130 करोड़ भारतवासियों से पूछना चाहता हूँ राष्ट्रीय चिन्ह बदलने वालों को “राष्ट्र विरोधी”बोलना चाहिये की नही बोलना चाहिये। https://t.co/JxhsROGMRi
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) July 11, 2022
आप नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि मैं 130 करोड़ भारतवासियों से पूछना चाहता हूँ राष्ट्रीय चिन्ह बदलने वालों को राष्ट्र विरोधी बोलना चाहिये की नही बोलना चाहिये. संजय सिंह ने पूराने और नए स्तंभ के तस्वीर की एक ट्वीट को रिट्वीट किया, जिसमे लिखा था कि एक में सिंह जिम्मेदार शासक की तरह गंभीर मुद्रा में दिख रहा है और दूसरे में सिर्फ आदमखोर शासक की भूमिका मे खौफ फैलाने जैसा है.
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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता मजीद मेमन ने सवाल किया कि सरकार ने राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण करने के लिए आयोजित कार्यक्रम से विपक्षी नेताओं को दूर क्यों रखा. राज्यसभा के पूर्व सदस्य मेमन ने कहा कि संसद भवन के कार्यक्रम में विपक्ष को आमंत्रित नहीं करना किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था की एक बड़ी खामी है. उन्होंने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय प्रतीक के अनावरण को लेकर कोई आपत्ति नहीं है और यह उनका अधिकार है क्योंकि वह देश के सबसे बड़े नेता हैं.