अनुपम कुमार, पटना. बीते 17 वर्षों में पटना में वाहनों की संख्या बढ़ कर चार गुनी हो चुकी है, पर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की संख्या नहीं बढ़ी है. इससे पटना ट्रैफिक पुलिस पर वाहन लोड बढ़कर मानक से चार गुना हो चुका है. पटना ट्रैफिक पुलिस की वर्तमान क्षमता का सृजन आज से 17 वर्ष पहले 2005 में हुआ था जब पटना जिला परिवहन कार्यालय में पंजीकृत वाहनों की संख्या केवल पांच लाख थी और उनमें से लगभग तीन लाख ही यहां की सड़कों पर दौड़ते थे.
वर्तमान में पटना जिला परिवहन कार्यालय में पंजीकृत वाहनों की संख्या लगभग 20 लाख हो चुकी है और उनमें से लगभग 12 लाख वाहन हर दिन पटना शहर की सड़कों पर दौड़ते हैं. इस प्रकार वाहन लोड बढ़कर चार गुना हो चुका है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस के सृजित पद में कोई इजाफा नहीं हुआ है.
पटना ट्रैफिक पुलिस में सृजित पदों की संख्या 1230 है. इनमें पुलिसकर्मियों की संख्या 1061 और अधिकारियों की संख्या 169 है, लेकिन इनमें 13 फीसदी पद खाली हैं. इससे ट्रैफिक पुलिस पर वास्तविक लोड बढ़कर लगभग 4.5 गुना हो चुका है. नतीजतन न तो ट्रैफिक पोस्ट पर पर्याप्त संख्या में ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की तैनाती हो पा रही है और न जाम को छुड़ाने के लिए ही पर्याप्त संख्या में ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की जा सकी है.
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अधीक्षक 01 01
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उपाधीक्षक 03 03
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सार्जेंट मेजर 01 01
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इंसपेक्टर 02 01
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एसआइ 53 50
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एएसआइ 33 80
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हवलदार 76 33
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सिपाही 661 600
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होमगार्ड 400 300
कुल 1230 1069
शहर की आबादी और वाहनों की संख्या के अनुसार पटना शहर में जाम को छुड़ाने के लिए कम से कम 25 ट्रैफिक रेगुलेशन दस्ते होने चाहिए, लेकिन इनकी संख्या केवल 10 है. ऐसे में कहीं जाम हो जाने पर उसे छुड़ाने के लिए पहुंचने में रेगुलेशन दस्ते को अधिक समय लग जाता है तब तक जाम भीषण हो जाता है और लोगों को उसे लंबे समय तक झेलना पड़ता हैं.