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ट्रांसफर-पोस्टिंग पर बिहार में बढ़ी सियासी हलचलें, कांग्रेस ने खड़े किए सवाल और VIP कर रही जांच की मांग

सीएम Nitish Kumar के फैसले से आहत रामसूरत राय (Ramsurat Rai) ने सीएम से किसी और को मंत्री बनाने की पेशकश भी कर दी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पहले हम जैसा जनता दरबार लगाते थे, लोगों के बीच जाते थे अब हम वो सब नहीं करेंगे

ट्रांसफर-पोस्टिंग (Transfer-Posting) के सवाल पर बिहार में सियासी हलचलें बढ़ गई है. सरकार के मंत्री रामसूरत राय (Ramsurat Rai) के बयान के बाद विपक्ष भी हमलावर हो गया है. कांग्रेस ने कहा है कि बिहार में अधिकारियों का ट्रांसफर और उनकी पोस्टिंग भू माफिया के इशारों पर होती है. राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने इसे अब साफ कर दिया है. इससे स्पष्ट है कि पिछले 17 साल से बिहार भू माफिया सरकार चला रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी का कहना है कि रामसूरत राय कोई पहले मंत्री नहीं हैं जो इस प्रकार का आरोप लगाए हैं. इससे पहले एनडीए गठबंधन के तत्कालीन मंत्री मुकेश साहनी ने भी सरकार की पोल-पट्टी खोल चुके हैं. इधर, वीआईपी पार्टी ने ट्रांसफर -पोस्टिंग की इस प्रकरण पर कहा कि इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए.

बताते चलें कि राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय विभागीय ट्रांसफर पर मुख्यमंत्री Nitish Kumar की तरफ से लगी रोक से खफा हैं. मंत्री रामसूरत राय 30 जून को बड़ी संख्या में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग किए थे. सीएम नीतीश कुमार ने इसपर रोक लगा दी है. इससे मंत्री काफी दिनों से खफा चल रहे हैं. सीएम के फैसले से आहत रामसूरत राय ने सीएम से किसी और को मंत्री बनाने की पेशकश भी कर दी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पहले हम जैसा जनता दरबार लगाते थे, लोगों के बीच जाते थे अब हम वो सब नहीं करेंगे और जनता दरबार नहीं लगाएंगे. जनता को जहां जाना है जाए. हालांकि उन्होंने आगे कहा कि हम सभी के मुख्यमंत्री ने निर्णय लिया है तो उसको मानना मेरा धर्म है.

मंत्री के इस बयान के बाद बिहार में सियासी तापमान बढ़ गया है. विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने बिहार सरकार के भूमि व राजस्व सुधार विभाग के मंत्री रामसूरत राय द्वारा अधिकारियों के किए गए तबादले और उसके बाद इन तबादलों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा रोक लगाए जाने के मामले की जांच सीबीआई से होनी चाहिए. पार्टी प्रवक्ता देव ज्योति का कहना है कि विभागीय मंत्री रामसूरत राय का विवादों से पुराना नाता रहा है. इसलिए पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए.

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