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Crowd Funding: जानिए क्या है क्राउडफंडिंग, ये कैसे करती है काम, ताजा घटनाओं में हुआ इस्तेमाल

क्राउडफंडिंग (Crowd funding) किसी समाजिक कार्य या कोई खास प्रोजेक्ट में आम जनता से पैसे एकत्रित करने की एक प्रक्रिया है. क्राउडफंडिंग को छोटे छोटे लोगों से दान (donation) के नाम पर लिया जाता है. क्राउडफंडिंग करने के लिए आज कल लोग...

Kanpur News: भारत में क्राउडफंडिंग (Crowdfunding) का जिक्र लोग समय-समय पर सुनते रहते हैं, फिर चाहे वो किसी की मदद के लिए हो या किसी सार्वजनिक कार्यक्रम को बड़े स्तर पर करने के लिए की गई हो, आज के समय में सोशल मीडिया क्राउडफंडिंग को जमा करने का एक बड़ा माध्यम बना हुआ है. यह खबर क्राउडफंडिंग के दुरुपयोग और सदुपयोग को लेकर है. ताजा घटना का जिक्र करें तो, 3 जून को जुमे की नमाज के बाद हुई दो समुदायों के बीच हिंसा में मास्टरमाइंड हयात जफर को बिल्डर हाजी वसी ने हिंसा भड़काने के लिए 10 लाख की मदद की थी. आइए जानते हैं क्राउड फंडिंग के फायदे और नुकसान.

क्राउडफंडिंग कैसे करती है काम

क्राउड फंडिंग (Crowd funding) किसी समाजिक कार्य या कोई खास प्रोजेक्ट में आम जनता से पैसे एकत्रित करने की एक प्रक्रिया है. क्राउड फंडिंग को छोटे छोटे लोगों से दान (donation) के नाम पर लिया जाता है. क्राउड फंडिंग करने के लिए आज कल लोग किसी की मदद करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेते है. सोशल मीडिया के माध्यम से लोग फंड (पैसा) जुटाने के लिए दानदाताओं या निवेशकों को फंड देने का कारण बताता है. अपनी बातों को वह खुलकर के दानदाताओं के पास रखता है. साथ ही बताया जाता है कि कैसे इस मुहिम में लोग अपना योगदान कर सकते है.

क्या है क्राउडफंडिंग

दरअसल, क्राउड फंडिंग दो शब्दों से मिलकर बना है. क्राउड+फंडिंग, क्राउड यानि भीड़ या यूं कहे की बहुत सारे लोग और फंडिंग का मतलब पैसा. हमारे देश में हर सामाजिक कार्य के लिए फण्ड इकठ्ठा किया जाया है या फिर चंदा लिया जाता है. फिर चाहे वो कोई भी धार्मिक कार्य क्यों ने हो. क्राउड फंडिंग की मदद से आज कल लोग सड़कों का निर्माण, ग्रामीण क्षेत्र में पुल या सामाजिक कार्य के रूप में भी कर रहे हैं. क्राउड फंडिंग का एक उदाहरण है,1977 में बनी फिल्म ‘मंथन’, लगभग 500000 किसानो से 2-2 रुपये लेकर इस फ़िल्म को बनाया गया था.

डिजिटल दुनिया में मदद का नया ठिकाना है क्राउडफंडिंग

टेक्नोलॉजी से लैस हाईटेक होती इस दुनिया में क्राउड फंडिंग भी अब डिजिटाइज़ होती जा रही है. लोग अब इंटरनेट के माध्यम से गरीब और असहाय लोगों के लिए मदद की गुहार लगाते हैं. इंटरनेट के माध्यम से लोग बताए गए बैंक खातों में धन भेज देते हैं. सभी NGO और वो सभी संस्थान जो लोगों की मदद के लिए काम करते हैं, उन्हें ऑनलाइन बनाये कई प्लेटफार्म पर डोनेशन मिल रहा है. इसलिए क्राउड फंडिंग भी अब डिजिटलाइजेशन हो गई है.

किस तरह किया जाता है क्राउडफंडिंग का दुरुप्रयोग

दरअसल, क्राउड फंडिंग का कुछ लोग दुरुप्रयोग भी कर रहे हैं. ज्यादा दूर की बात न करते हुए अगर हम हाल ही की घटनाओं को जिक्र करें तो इस बात को समझना काफी आसान होगा. जैसे कानपुर में 3 जून को जुमे की नमाज के बाद हुई दो समुदायों के बीच हिंसा की घटना सामने आई थी. इस घटना को अंजाम देने के लिए क्राउड फंडिंग करने में कानपुर के बि​ल्डर हाजी वसी का नाम सामने आया है. हाजी वसी एक बिल्डर है जो कुछ साल पहले तक चंदा जमाकर तालीम देने के लिए चर्चा में रहता था, लेकिन वसी ने कुछ ही समय में हजारों फ्लैट बनाकर बेच डाले थे. ये सब कैसे हुआ ये जांच का विषय है.

क्राउडफंडिंग का हुआ सदुपयोग

अगर इंटरनेट की दुनिया न होती तो क्राउडफंडिंग उतनी कारगर साबित नहीं होती जितनी आज है. एक तरह से ये डिजिटल युग की सबसे बड़ी सौगात है. क्राउडफंडिंग के सदुपयोग की बात करें तो इसकी मदद से मिले पैसे से किसी जरूरतमन्द का इलाज, शिक्षा, व्यापार आदि में उसकी मदद की जा सकती है.

ऐसे कई बड़े काम है जोकि किसी एक व्यक्ति के बस के नहीं थे, लेकिन क्राउडफंडिंग की मदद से वो संभव हो सके. उदयपुर के कन्हैयाल लाल की बर्बरतापूर्ण हत्या का मामला सामने आया था, एक टेलर जोकि जैसे तैसे अपना परिवार चलाता था, उसकी दर्दनाक हत्या कर दी गई, पीछे छुटे परिवार की मदद के लिए बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने परिवार की मदद के लिए लोगों से अपील की, और देखते ही देखते क्राउडफंडिंग के जरिए एक करोड़ रुपए जुटा लिए गए.

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