बिहार की राजधानी पटना के पास बिहटा है. जहां पर नो मेंस लैंड जैसी हालात आपको देखने को मिलेगा. ऐसी हालात अक्सर दो देशों की सीमाओं पर होती है. लेकिन ठीक ऐसी ही जगह बिहार में भी है. यह अधिकारिक रूप से तो नो मेंस लैंड नहीं है, लेकिन यहा के हालात ठीक नो मेंस लैंड जैसी है. यहां पर बिहार सरकार की नहीं बल्कि किसी और की हुकूमत चलती है. इस जगह पर बिहार पुलिस कम पहुंचती है, लेकिन निजी सेनाओं की समांतर सरकार चलती है. यहां से प्रतिदिन लाखों रुपये का कारोबार होता है.
हम बात कर रहे हैं बिहार की राजधानी पटना के पास बिहटा-मनेर मौजा की. दियारा क्षेत्र में सोन नदी के बीच उभर आए टापू को बालू माफिया नो मेंस लैंड कहते हैं. बालू माफियाओं के बीच लंबे समय से बालू घाटों पर अवैध कब्जा करने को लेकर खूनी संघर्ष देखने को मिलता रहता है. पहले भी यहां बालू माफिया के बीच फायरिंग की घटनाएं कई बार हो चुकी है, जिसमें कई लोगों की मौत हो चुकी है. यहां हथियार के बल पर बालू लोड का खेल लंबे समय से चल रहा है और यहां से प्रतिदिन लाखों रुपये का अवैध कारोबार भी होता है.
सोन नदी के दियारा इलाके में बिहटा प्रखंड के अमानबाद मौजे में करीब तीन सौ 23 एकड़ भूमि का क्षेत्र बना है. इस टापू के किनारे का इलाका पटना व भोजपुर जिलों को जोड़ता है. दो जिलों की सीमा होने के कारण बालू माफिया लंबे समय से इसका पूरा फायदा उठाते आ रहे हैं. दोनों जिलों की पुलिस एक दूसरे की सीमा बताकर वहां जाने से इंकार करती रहती है. दोनों जिला की पुलिस सीमा विवाद में उलझी हुई है. इसी का फायदा बालू माफिया को मिलता है.
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जानकारी के अनुसार 1987 में बाढ आयी थी. इसी दौरान यहां पर एक टापू बन गया. यह टापू करीब 23 एकड़ जमीन में बना है. इस इलाके में बालू का उत्खनन पहले से होता रहा है. लेकिन अब यहां से अब बड़े पैमाने पर बालू की खोदाई हो रही है. यहां से बालू लेकर जाने वाली गाड़ियों का चालान कटवाना पड़ता है. वहीं, नदी मार्ग से जाने वाली नावें बंदूक की बदौलत चलती हैं. यहां से बालू नाव पर लाद कर माफिया छपरा, यूपी समेत अन्य जगहों पर बेचते हैं.
स्थानीय लोगों ने बताया कि महुली और अमनाबाद के समीप सोन नदी में पानी की बढ़ोतरी होने के बाद गोलियों की तड़तड़ाहट हमेशा सुनाई देती है. बालू माफिया रास्ता रोककर वसूली करते हैं. सोन में पानी बढ़ने के बाद छपरा, भोजपुर, पटना चारों तरफ से नावों का आवागमन शुरू होता है. यहां से प्रतिदिन हजारों नावों पर बालू की तस्करी होती है. इसी वसूली के लिए पूर्व में फौजी और सिपाही गैंग के बीच गैंगवार में दोनों पक्षों के कई सदस्यों की जान जा चुकी है.