Explainer: सीबीआई ने शेयर बाजार के कर्मचारियों की कथित अवैध फोन टैपिंग मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडे (Sanjay Pande) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व एमडी व सीईओ चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramkrishna) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. बताया जाता है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से शिकायत मिलने के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने यह कार्रवाई की है.
संजय पांडे और चित्रा रामकृष्ण के अलावा, सीबीआई ने इस मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के एक अन्य पूर्व सीईओ व एमडी रवि नारायण (Ravi Narain) को भी नामजद किया है. संजय पांडे और चित्रा रामकृष्ण फिलहाल को-लोकेशन घोटाला के मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.
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ब्रोकर या कारोबारी जब एक्सचेंज के सर्वर की कॉपी (प्रॉक्सी) बना लेते हैं, तो एक ही समय में दो सर्वर पर काम होता है. इसे ही को-लोकेशन कहते हैं. इसके लिए कुछ अतिरिक्त शुल्क चुकाना होता है. इसका फायदा यह होता है कि मार्केट से पहले पूरी जानकारी उस प्रॉक्सी सर्वर पर मिल जाती है. इसके जरिये ब्रोकर और कारोबारी मोटा मुनाफा कमा लेते हैं. बता दें कि एक जैसे सर्वर की वजह से डेटा का ट्रांसमिशन तेजी से होता है. जिन्होंने प्रॉक्सी सर्वर की सेवा ली है, उन्हें बाजार से जुड़ी जानकारियां जल्दी मिल जाती है. जिन लोगों के पास यह सुविधा नहीं होती है, उन्हें उतना फायदा नहीं होता, जितनी होनी चाहिए.
CBI filed a case against a Delhi-based pvt company,its then Directors,4 NSE Mumbai officials&others on MHA's reference in connection with alleged illegal telephones interception of NSE employees carried out by its top management in collusion with said pvt company b/w 2009-17:CBI
— ANI (@ANI) July 8, 2022
सीबीआई, संजय पांडे के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, पुणे, कोटा, लखनऊ, चंडीगढ़ और अन्य शहरों में 18 स्थानों पर छापेमारी कर रही है. आरोप है कि कुछ अन्य कंपनियों के साथ एनएसई का सुरक्षा ऑडिट करने वाली आईसेक सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड ने वर्ष 2009 से 2017 के दौरान एनएसई कर्मचारियों के फोन अवैध रूप से टैप किये थे. कथित तौर पर इस निजी कंपनी को इस काम के लिए करीब 4.45 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.
कंपनी ने उस समय यह ऑडिट किया था, जब कथित तौर पर को-लोकेशन अनियमितताएं हुईं थीं. मार्च 2001 में संजय पांडे ने यह कंपनी खड़ी की थी. मई 2006 में उन्होंने इसके निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद कंपनी का प्रभार उनके बेटे और मां ने ले लिया था. माना जाता है कि IIT-कानपुर और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वाले संजय पांडे ने सेवा से इस्तीफा देने के बाद यह कंपनी स्थापित की थी.
संजय पांडे के इस्तीफा को राज्य सरकार ने स्वीकार नहीं किया था और वह दोबारा सेवा में शामिल हो गये थे. लेकिन, पांडे को तत्काल कहीं भी तैनात नहीं किया गया था. संजय पांडे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के दौरान मुंबई के पुलिस आयुक्त थे.
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