देश में अंतरिक्ष क्षेत्र की स्टार्ट-अप ध्रुव स्पेस ने अपने ‘सैटेलाइट ऑर्बिटल डिप्लॉयर’ का सफल परीक्षण किया है, जिससे स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपित करने की उसकी योजना को आधार मिला है. ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) सी-53 मिशन, जिसने तीन विदेशी उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया, ध्रुव स्पेस के सैटेलाइट ऑर्बिटल डिप्लॉयर (डीएसओडी-1यू) के लिए परीक्षण मंच साबित हुआ है.
डीएसओडी-1यू उपग्रहों को प्रक्षेपण यान पर रखता है और उन्हें (उपग्रह को) कक्षा में छोड़ता है. डीएसओडी-1यू के सफल परीक्षण ने पीएसएलवी सी-54 के जरिये ध्रुव स्पेस के उपग्रह मिशन थाईबोल्ट-1 और थाईबोल्ट-2 को अंजाम देने का रास्ता साफ कर दिया है. ध्रुव स्पेस प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी(सीईओ) संजय नेक्कांति ने ‘पीटीआई-भाषा’से कहा, ‘‘ हमारे ग्राहकों के लिए उपग्रह का निर्माण करने से पहले यह हमारे लिए अहम मील का पत्थर है.”
नेक्कांति ने कहा, ‘‘इस अहम सफलता को ध्यान में रखकर हम आगे बढ़ रहे हैं. हमारी मंशा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (isro) के प्रत्येक वाणिज्यिक पीएसएलवी मिशन में साथ रहने और देश में निजी उद्योग के नेतृत्व में अंतरिक्ष क्रांति की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल को आगे बढ़ाने की है.” भारत में ध्रुव स्पेस रक्षा क्षेत्र की कंपनी के साथ भी काम कर रही है, जबकि ऑस्ट्रिया में उसकी इकाई विदेशी ग्राहकों के लिए है.