पटना. मॉनसून सत्र के पहले दिन विधानपरिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार विधान परिषद् मॉनसून सत्र में, दिनांक 24 जून से 30 जून तक कुल पांच बैठकें होंगी. इस सत्र में जनहित से जुड़े महत्वपूर्ण मामले एवं प्रदेश के विकास से जुड़े अधिक-से-अधिक विषय सदन के पटल पर लाए जाएं, ऐसा हमारा प्रयास हो.लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि सरकार से जनता की अपेक्षाएं बढ़ती जाती हैं. सदन की कार्यवाहियों में जनता की अपेक्षाएं परिलक्षित होती हैं. सरकार द्वारा इस दिशा में किए जा रहे कार्यों के कारण उसकी लोकप्रियता बढ़ रही है.
अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय मंत्री नितिन गडकरी के प्रयासों से पटना के महात्मा गांधी सेतु के पूर्वी भाग एवं कोईलवर पुल के छह लेन को आमजन के आवागमन के लिए खोल दिया गया है.हमें उम्मीद करते है कि इस बहुप्रतीक्षित विकासात्मक कदम से बिहार की जनता लाभान्वित होगी.सड़क निर्माण एवं अनुरक्षण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे गुणात्मक कार्यों की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है.
सभापति ने कहा कि राजगीर, गया, बोधगया एवं नवादा क्षेत्र में गंगा का शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना से जनता को बहुत लाभ होगा. मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश में सीतामढ़ी के लखनदेई नदी की धारा को पुनर्जीवित किया गया है. इस के लिए स्थानीय जनता द्वारा दिए गए सकारात्मक सहयोग प्रशंसनीय हैं. सात निश्चय – 2 के अंतर्गत छोटी नदियों को जोड़ने की योजना का लाभ भी समाज को मिलेगा. राज्य सरकार द्वारा तटबंधों की निगरानी में लगातार सतर्कता बरती जा रही है. बरसात में जल स्रोतों से होनेवाली परेशानियों से जनता को बचाने की दिशा में सरकार लगातार सक्रिय है.पटना मेट्रो रेल निर्माण के कार्यों में सरकार द्वारा तत्परतापूर्वक किए जा रहे कार्यों से हम आशान्वित हैं कि निकट भविष्य में पटना शहर में सुगम यातायात में और वृद्धि होगी.
सभापति अवधेश नारायण सिंह के संबोधन के बाद विधानपरिषद में दिवंगत जनप्रतिनिधियों को श्रद्धांजलि दी गई.श्रद्धांजलि देने के बाद विधानपरिषद की कार्यवाही को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया. आज जिन नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई उनमें स्व. नवल किशोर राय, स्व. सीताराम दास, स्व.योगेंद्र पांडेय, स्व.नंदकिशरो राम, स्व.शिवनंदन प्रसाद सिंह, स्व. प्रो. असलम आजाद, स्व. सुरेश मिश्र, स्व. त्रिभुवन सिंह, स्व.रमादेव वर्मा, स्व.युगल किशोर प्रासद, स्व. प्रशांत कुमार और स्व.डॉ बी. भट्टाचार्य प्रमुख थें.