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Exclusive: अच्छे काम से मतलब है टीवी और ओटीटी से नहीं- इकबाल खान

ओटीटी प्लेटफार्म वूट सिलेक्ट पर वेब सीरीज दून कांड इनदिनों स्ट्रीम हो रही है. अभिनेता इकबाल खान इस सीरीज में इंस्पेक्टर अरविंद रावत की भूमिका में नज़र आ रहे हैं.इस सीरीज और उनके किरदार से जुड़े रियलिज्म फैक्टर को इकबाल खास करार देते हैं.उर्मिला कोरी से हुई बातचीत...

दून कांड में आपको अपने किरदार में सबसे ज़्यादा क्या अपील कर गया?

मुझे ऐसे पुलिस वाले का किरदार निभाने को मिला है,जो बहुत ही रियल सा है.हम जो पिछले तीन-चार सालों में पुलिस वालों की जो स्टोरीज ओटीटी पर देख रहे हैं.वैसा नहीं है. काफी अलग और रियल सा है. ये एक ऐसा इंसान है,जो बहादुर है और उसको साथ में डर भी लगता है, जब वह क्रिमिनल्स से लड़ता है,लेकिन अपने परिवार को लेकर उसके भीतर एक डर भी रहता है.ऐसे रियल किरदार को निभाकर बहुत मज़ा आया.

सीरीज में आप पुलिस के किरदार को आप निभा रहे हैं,वर्दी पहनने के बाद क्या अलग फीलिंग आती है?

वो पहनकर आदमी 80 प्रतिशत अपने किरदार के करीब ऐसे ही पहुंच जाता है.यूनिफॉर्म का ये जादू होता है.हम लकी थे कि हमारे जितने भी पुलिस स्टेशन के सीन्स सीरीज में हुए हैं.वो असल पुलिस स्टेशन में शूट हुए हैं,तो वहां के जो सीनियर्स थे या दूसरे ऑफिसर्स थे,वे सीरीज में रियलिज्म बरकरार रखने में हमारी बहुत मदद करते थे.

सीरीज की टैगलाइन है फाइट फ़ॉर रिवेज, रिवेंज में यकीन करते हैं?

मैं तो नौकर आदमी हूं.अब इन सब चीजों में नहीं पड़ता हूं. रिवेंज ये जो भाव है,ये ईगो से आता है तो धीरे-धीरे अक्कलमंदी से इसे मार देना चाहिए.

आप फाइटर तो ज़रूर होंगे

उसमें भी महत्वपूर्ण ये बात है कि आप किस लिए फाइट कर रहे हैं,अगर आपको अपने ईगो से लड़ना है तो मैं फाइटर हूं.अपने गुस्से से लड़ना है,तो फाइटर हूं. रिवेंज आपको खुद से लेना चाहिए कि मैं पहले से खुद को बेहतर बनाकर दिखाऊंगा,तो मैं फाइटर हूं.

आपकी प्राथमिकता अब क्या टीवी के बजाय ओटीटी है?

मैं ब्रेक नहीं लेता हूं किसी चीज़ से,मुझे जहां अच्छा काम मिलता है.मैं कर लेता हूं,फिर चाहे वह टीवी हो या ओटीटी.

ओटीटी में उम्दा एक्टर्स की एक लंबी फेहरिस्त है,क्या ये बात आपको प्रेशर देती है?

कौन कितना अच्छा है.कौन नहीं,इससे अपने को क्या लेना- देना है.हां मुझे जो किरदार मिला है.उसे मुझे बहुत अच्छे से निभाना है. यही मैं सोचता हूं. मुझे लगता है कि दूसरे क्या अच्छा कर रहे हैं,इस चक्कर में आप अपनी जर्नी में भटक जाते हैं,तो खुद से बेहतर बनिए.दूसरे की चीज़ें आपको इंस्पायर कर रही है मतलब आप खुद पर तवज्जो नहीं देते हैं,आप खुद पर तवज्जो दीजिए ना.

तो आपको किसी की एक्टिंग प्रभावित नहीं करती है?

ऐसा नहीं है,मेरे पसंदीदा एक्टर इरफान खान साहब हैं. उन जैसा कोई एक्टर ना था और ना है.आएगा या नहीं ये मुझे पता नहीं है. जिस सहजता से वह अपनी डायलॉग डिलीवरी करते थे,कोई नहीं कर सकता है.

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