Common Man Issues: झारखंड के गुमला में बालू की किल्लत है. इसका सीधा असर ऊंची इमारत, घर व अन्य कार्यों पर पड़ रहा है. गुमला के अलावा रांची भी बालू की किल्लत से जूझ रहा है क्योंकि गुमला के बालू से ही रांची में निजी से लेकर सरकारी भवन तक का निर्माण होता है, परंतु ठेकेदारों द्वारा किसी प्रकार बालू की व्यवस्था कर सरकारी भवन बनाये जा रहे हैं. इस कारण निजी मकान नहीं बन पा रहे हैं क्योंकि निजी कार्यों के लिए बालू नहीं मिल पा रही है. कई लोगों ने ऑनलाइन आवेदन किया है, परंतु 15 दिन से अधिक होने के बाद भी लोगों को बालू नहीं मिल पा रही है. इससे घरों का निर्माण कार्य रुक गया है.
बालू उठाव का ग्रामीणों ने किया विरोध
गुमला जिले के सिसई प्रखंड के कुछ डंप स्थल से बालू मिल रही है, परंतु ऑनलाइन प्रक्रिया पेचिदा होने के कारण लोगों तक बालू नहीं पहुंच पा रही है. सबसे पेचिदा लंरगो डंप स्थल है. लरंगो में 150 से अधिक हाइवा बालू डंप है. लरंगो घाट से बालू के लिए ऑनलाइन आवेदन लिया जा रहा है, परंतु बालू की सप्लाई लरंगो घाट के संचालक नहीं कर पा रहे हैं. बताया जा रहा है कि ग्रामीण लरंगो से बालू उठाव करने नहीं दे रहे हैं. ग्रामीणों के अनुसार जेएसएमडीपी द्वारा निर्धारित नदी घाट से बालू नहीं निकाला गया है. लरंगो में जो बालू है. वह प्रतिबंधित क्षेत्र से निकालकर डंप किया गया है. प्रदीप दूबे ने कहा कि लरंगो घाट का मामला हाईकोर्ट में लंबित है. जबतक फैसला नहीं हो जाता. बालू उठाव करने नहीं दिया जायेगा.
1500 का बालू 3000 रुपये में बिक रहा
गुमला में 1500 रुपये ट्रैक्टर बालू बिक रही थी, परंतु जब बालू पर प्रतिबंध लगा तो कीमत दोगुनी हो गयी. अभी 3000 रुपये ट्रैक्टर बालू बिक रही है. वह भी चोरी छिपे बेची जा रही है. गुमला में जो लोग घर बना रहे हैं. वे चोरी छिपे किसी प्रकार बालू खरीद रहे हैं और घर बनवा रहे हैं. वही स्थिति रांची की है. हालांकि रांची में अभी बालू नहीं पहुंच रही है. इस कारण यहां कई घरों का निर्माण कार्य रुक गया है.
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50 की जगह अब 2-3 हाइवा बालू पहुंच रहा रांची
गुमला के सिसई प्रखंड की दक्षिणी कोयल नदी बालू का भंडार है. यहां का बालू दीवार का प्लास्टर करने व ईंट जोड़ने से लेकर कई कलाकृति बनाने में उपयुक्त है. रांची से लेकर कई जिलों व राज्य को गुमला से ही बालू चाहिए क्योंकि यहां की बालू में शुद्धता है. अलग से कोई मिलावट व मोटा बालू नहीं है. यही वजह है कि रांची में कुछ वर्षों में जितने भवन व घर बने हैं. उसमें गुमला के बालू का उपयोग हुआ है. बालू बेचने वाले संचालकों ने कहा कि एक महीना पहले तक गुमला से रांची 50 से 55 हाइवा बालू प्रतिदिन जाता था. जैसे ही सरकार ने प्रतिबंध लगाया. अभी रांची बालू नहीं जा रहा है. जिन संचालकों का लाइसेंस है और वे पहले से बालू डंप करके रखे हैं. बालू किसी प्रकार रांची जा रहा है. बताया जा रहा है कि अभी मात्र 2-3 हाइवा ही बालू रांची जा रहा है. यह बालू भी ऑनलाइन चालान कटाने के बाद ही मिल रहा है.
बालू उठाव पर रोक पर क्या बोले डीएमओ
लरंगो के ग्रामीण प्रदीप दूबे ने कहा कि लरंगो घाट जेएसएमडीपी को दिया गया है, परंतु नदी के जिस स्थान से बालू निकालना था. वहां से बालू नहीं निकाला गया. प्रतिबंधित स्थल से सैकड़ों ट्रैक्टर बालू निकाल दिया गया. इसलिए ग्रामीणों ने बालू उठाव पर रोक लगाया है. इधर, गुमला के डीएमओ रामनाथ राय ने कहा कि सिसई के लरंगो में 150 से अधिक हाइवा बालू डंप है. एक हाइवा में पांच से छह ट्रैक्टर बालू लोड होता है, परंतु कुछ लोगों ने लरंगो से बालू उठाव पर रोक लगा दिया है. इस कारण थोड़ी परेशानी हो रही है.
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रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला