20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Exclusive: हर मिडिल क्लास पिता ‘शेरदिल’ है, जैसे मेरे पिता रहे है-पंकज त्रिपाठी

अभिनय का भरोसेमंद और खास नाम बन चुके पंकज त्रिपाठी, जल्द ही फ़िल्म शेरदिल में एक अलग कहानी के साथ दर्शकों से रूबरू हो रहे है.

अभिनय का भरोसेमंद और खास नाम बन चुके पंकज त्रिपाठी, जल्द ही फ़िल्म शेरदिल में एक अलग कहानी के साथ दर्शकों से रूबरू हो रहे है. वे इस शीर्षक के साथ अपने पिता को जोड़ते हैं. उनकी इस फ़िल्म, पिता के साथ उनकी बॉन्डिंग और नेचर के साथ लगाव सहित कई पहलुओं पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत…

फ़िल्म शेरदिल किस तरह से आप तक पहुँची थी?

श्रीजीत मुखर्जी ने तीन साल पहले सुनाया था,2019 के अंत में कोलकाता गए थे.वहीं सुनाया कि पीलीभीत के जंगलों में सरकार से मुआवाज़ा पाने के लोग अपने घर के बुजुर्गों को जंगल में छोड़ आते थे.जंगली जानवरों से उनका शिकार बन जाने के बाद वे मुआवाज़ा मांगते थे.मुझे आईडिया बहुत अच्छा लगा था.मैंने कहा लिखो यार,आईडिया तो अच्छा है.फाइनली शेरदिल के रूप में फ़िल्म बन गयी.

फ़िल्म की शूटिंग कहां हुई है?

हमने नॉर्थ बंगाल के जंगलों में इस फ़िल्म की शूटिंग की है.सुबह 5 बजे कैमरे और टीम को लेकर जाते थे और शाम के 5 बजे शूटिंग करते थे.60 प्रतिशत फ़िल्म की शूटिंग जंगल में हुई है

जंगल में शूटिंग हुई है क्या कोई डरावना अनुभव रहा?

जंगल में शूटिंग हुई है,लेकिन कोई डरावना अनुभव नहीं हुआ था.मालूम पड़ा था कि हाथियों का झुंड गुज़र रहा है,वो उनका कॉरिडोर था,लेकिन कोई दिक्कत नहीं हुई. हां शूटिंग करना आसान नहीं था.लंच ब्रेक में तीन चार किलोमीटर चलकर बाहर आते थे,लंच करके,फिर जंगल में शूटिंग के लिए चले जाते थे,उसके बाद शाम को पैकअप के बाद ही वापस आते थे.सीन की जब रिहर्सल और डिस्कशन चलती थी,तो मैं चादर बिछाकर जमीन पर लेट जाता था,प्रकृति के बीच रहने का आनंद ही कुछ और होता है .

आप प्रकृति प्रेमी हैं,निजी जिंदगी में इस बात का ख्याल कितना रखते हैं कि आपका कार्बन फुट प्रिंट कम हो?

मैं अपने घर से अपना पानी लेकर चलता हूं दो से तीन लीटर,ताकि प्लास्टिक के बोतल का इस्तेमाल ना करूं.शूटिंग में भी मैं वही करता हूं और ज़्यादा की ज़रूरत होती है,तो आरो से सेट पर अपनी बोतल में भर लेता हूं. मेरी पूरी कोशिश रहती है कि मेरा कम से कम कार्बन फुट प्रिंट हो.मैंने इलेक्टिक की कार ली है.मड़ आइलैंड में रहता हूं, कार से आऊंगा तो 25 किलोमीटर लगेगा,इसलिए मैं जेटी से आता हूं. जेटी से आता हूं,तो छह से आठ किलोमीटर ही गाड़ी चलानी पड़ती है. कुछ भी सामान को खरीदते हुए, इस बात का ध्यान रखता हूं कि नेचर का कम से कम दोहन हो. मड़ में रहने की एक अहम वजह ये भी है कि वहां हरियाली है,नेचर है.

क्या आप हमेशा से प्रकृति प्रेमी रहे हैं?

हमेशा से नहीं था,आप जब रहते हो,तो आपको उस जगह की कीमत पता नहीं चलती है. जब मैं अपने गांव से निकलकर शहरों में आया और थोड़ा जागरूक हुआ,तो मालूम पड़ा कि गांव में, तो हम स्वर्ग में रहते थे.गांव की हवा तो बेशकीमती है. मेरे पास जीवन के दो अनुभव रहे हैं,आधा गांव में रहा हूं और आधा शहर में,अब समझ में आता है कि पेड़ लगाना क्यों जरूरी है.

गांव में भी क्या कुछ खास कर रहे हैं?

वृक्षारोपण करता रहता हूं.इस साल भी कर रहा हूं. गांव में शिक्षा पर भी कुछ कर रहा हूं.वो जब पूरा हो जाएगा,तो उसपर बात करेंगे.

हाल ही में आप पॉपुलर अवार्ड आइफा में बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के पुरस्कार से सम्मानित हुए,पॉपुलर अवार्ड में कितना भरोसा रखते हैं?

सम्मान जैसा भी मिले अच्छा है.मुझे उसमें कोई आपत्ति नहीं है. मैं पहली बार किसी आयोजन में गया.आमतौर पर मैं जाने से बचता हूं.

आपको आइफा में स्टैंडिंग ओवेशन मिला,अबु धाबी के एयरपोर्ट पर सभी आपको कालीन भैया कह रहे थे?

अविस्मरणीय था.दुबई आबू धाबी की जनता मुझे इतना प्रेम करती है. वो हमेशा मुझे याद रहेगा.वो मुझे ऋणी महसूस करवाता है. ये दर्शकों का मुझ पर कर्ज है कि वो मुझे इतना अनकंडीशनल प्यार करते हैं. मेरी बेटी भी बोली अच्छा आप बहुत पॉपुलर हो. स्टेज पर पहुंचने के बाद दो मिनट तक तो मैं कुछ बोल ही नहीं पाया लगा कि सबके पैर छू लूं क्या.इतना प्रेम के एवज में स्पीच देकर मैं थैंकफुल नहीं हो सकता था इसलिए मैंने कुछ नहीं बोला था.

इस स्टारडम की सबसे खास बात आपको क्या लगती है?

अब मैं बता सकता हूं कि स्टारडम के मिलने और ना मिलने का क्या नफा नुकसान है.

क्या हैं नुकसान?

नुकसान ये है कि अति व्यस्त रहते हैं आप, नींद कम मिलती है.अपने परिवार के लिए समय निकालना पड़ता है,तो वो मुश्किल लगता है. गांव तीन महीने में जाना चाहता हूं,कई बार छह महीने बीत जाते हैं फिर भी समय नहीं निकाल पाता हूं.सोचता भी हूं कि इतना व्यस्त रहना नहीं चाहता था,शुक्र है कि अब संतुलन बन गया है. जुलाई के बाद से मैं थोड़ा कम काम कर रहा हूं. एक साथ चार नहीं,बल्कि एक समय पर एक प्रोजेक्ट करूंगा.उसके बाद 15 दिन का गैप लूंगा.

फिल्मों को ना कहने में कितनी मुश्किल हो रही है?

बहुत हो रही है, क्योंकि हम तरसते थे कि फिल्में मिल जाए, अब मिल रही है,तो ना कहना पड़ रहा है.मेरे जानकर मीडिया के कई लोगों का कहना है कि मैं नवोदित निर्देशकों को समय नहीं दे पा रहा हूं,लेकिन क्या कर सकता हूं,पहले से ही मेरा शेड्यूल बिजी है और ज़्यादा के लालच में खुद को पूरे साल 365 दिन बिजी नहीं रख सकता हूं.मुझे पता है कि इस वजह से कई नयी और अच्छी कहानियां भी छूटेगी,लेकिन अब तय है कि एक वक्त में एक ही फ़िल्म करना है.

क्या इस फैसले के पीछे की एक वजह ये भी है कि कइयों का कहना है कि आप खुद को रिपीट कर रहे हैं?

मैं भी इंसान हूं.365 दिन में 340 दिन अभिनय नहीं कर सकता हूं. हो सकता है कि 20 से 25 भाव ही हो जो मेरी आँखों में आते हो हालांकि गुस्सा गुस्सा होता है.कोई गुस्से में चिल्लाएगा.कोई कालीन भइया वाला लुक देगा.रोने का भी पांच छह ही वैरायटी है. हां, अब थोड़ा से थमकर,आराम से करना है.एक खत्म हो गयी तो दूसरी चालू हो गयी तो एक ही लुक में सभी फिल्में कर रहा हूं. अब थोड़ा ठहर के करूंगा. अलग प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बनूंगा ताकि रात को सोने में दिक्कत ना हो कि सुबह जाकर सेट पर क्या अलग कर पाऊंगा.

क्या आप परदे पर नाचने गाने और रोमांटिक रोल के लिए तैयार हैं?

हां क्यों नहीं,अभिनेता हूं, लेकिन मुझे किरदार को नाचने और रोमांस करने के लिए बीस मिनट की कहानी चाहिए. मुझे प्रयोग करते रहना चाहिए.अपने कंफर्ट ज़ोन से बाहर निकलते रहना चाहिए.एक कहानी सुना हूं,देखिए बन जाए तो आपलोग से अलग अंदाज में रूबरू होऊंगा.

क्या इस बात का डर रहता है कि एकदिन ये स्टारडम खत्म हो जाएगा?

मैं आध्यात्मिक इंसान हूं ,तो इस बात से परिचित हूं. कुछ साल पहले कोई सेल्फी नहीं लेता था.कुछ साल बाद भी कोई नहीं लेगा तो मैं जितना सेल्फलेस रह सकता हूं,रहना चाहता हूं. (हंसते हुए) वैसे सेल्फी लेना आसान नहीं होता है,जब कई सौ लोग आ जाते हैं और सबको दो तीन सेल्फी लेनी है. आपलोग गौर करेंगे तो आजकल हर सेल्फी में चेहरे के भाव उड़े रहते हैं क्योंकि सबको सेल्फी देकर शूटिंग पर पहुँचने की भी जल्दीबाज़ी होती है,मेरी बीवी बोलती है कि तुम सेल्फीसहज क्यों नहीं रहते हो.मैं बोलता हूं कि कैसे रहूं.मुझे समय पर शूट पर भी जाना है और सामने वाले इंसान का दिल भी नहीं दुखाना है तो सब मैनेज करने में चेहरे के हाव-भाव बदल ही जाते हैं.

एक्टर या इंसान के तौर पर आपकी अब ख्वाहिश क्या है?

मैं लोगों को जागरूक करना चाहता हूं कि जो अच्छी हवा पानी है,वो मेरे बच्चों को ही नहीं,बल्कि आनेवाले बच्चों को भी मिले .उसके लिए हमें अभी से प्रयास करना होगा,ताकि विकास के साथ साथ प्रकृति का संतुलन भी बना रहे.निजी ज़िन्दगी में बस इतना चाहता हूं कि समय निकालकर गांव चला जाऊं और मां बाबूजी के साथ थोड़ा समय बिता लूं,जो मैं करता रहता हूं.

आज फादर्स डे है,अपने बाबूजी के योगदान को अपनी निजी जिंदगी में किस तरह से परिभाषित करेंगे?

बाबूजी मेरे शेरदिल हैं,विषम परिस्थितियों में परिवार को खेती- किसानी और पूजा पाठ करके पालना,हम सबको पढ़ाना.मुझे लगता है कि हर मिडिल क्लास परिवार का माता पिता शेरदिल है. जो अपने परिवार के लिए कितना कुछ करते हैं.

अपने पिता की क्या खूबियां आपने खुद में बनाकर रखी हैं?

घर में जिस तरह का माहौल बच्चे देखते हैं.जिस किस्म से माता पिता पेश आते हैं ना सिर्फ उनसे, बल्कि दूसरों से.वह सब बच्चों में रच बस जाता है. मैं भी अपने पिता की तरह पारिवारिक इंसान हूं. प्रकृति से लगाव है.

क्या आपके पिता आपकी फिल्में अब देखते हैं?

अभी घर में टीवी लग गया है,वो भी उनकी अटेंडेंट जो उनकी देखभाल के लिए है.उसको मनोरंजन चाहिए. जब टीवी पर मेरी एड आती है, तो वो देख लेते हैं.बस उतना ही. वैसे मेरे बाबूजी को मेरा अखबार में छपना बहुत पसंद है.जब भी वो मेरा अखबार में इंटरव्यू पढ़ते हैं,मुझे लगता है कि उनकी उम्र चार- पांच महीने बढ़ जाती है,इसलिए मैं चाहता हूं कि बिहार के पेपर्स में मेरे इंटरव्यू छपते रहें. वे इंटरव्यू पढ़कर मुझे कॉल भी करते हैं .

पिता के तौर आप अपनी अपनी बेटी में किन खूबियों को देखना चाहते हैं?

मैं चाहता हूं कि मेरी बेटी एक बेहतर नागरिक और बेहतर इंसान बनें. वो संवेदनशील हो.मुझे खुशी है कि वो बहुत संवेदनशील,शांत और सहृदय है भी,तो कहीं ना कहीं मैं अपनी परवरिश में कामयाब दिखता हूं.

आपके पिता के साथ आपका रिश्ता कैसा था और आपकी बेटी के साथ कैसा है?

काफी अलग है, लेकिन मूल चीज़ें एक सी ही हैं. मेरी बेटी और मैं हर मुद्दे पर बात कर सकते हैं,मगर बाबूजी और मैं बैठकर बात ज़्यादा नहीं करते हैं,सिर्फ इतना पूछ लेते हैं कि और तुम्हारा सब ठीक चल रहा है ना.मैं भी जवाब में कहता हूं कि हां. ज़्यादा बातचीत नहीं होती इसके बावजूद उन्होंने मुझे कभी कुछ करने से रोका नहीं.उन्हें मुझ पर भरोसा था.जैसे मुझे अपनी बेटी पर है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें