12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Explainer : कश्मीर में लगातार टारगेट किलिंग को अंजाम दे रहे आतंकी, जानिए कैसे निर्दोष बन रहे शिकार

लक्षित हत्या को अंग्रेजी में टारगेट किलिंग कहते हैं. टारगेट किलिंग शब्द का इस्तेमाल 20वीं सदी से होता आ रहा है. भारत में जम्मू-कश्मीर के निवासी आतंकियों के सॉफ्ट टारगेट पर हैं. आतंकी आए दिन घाटी में लक्षित हत्या की घटना को अंजाम दे रहे हैं.

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकियों ने एक बार फिर पुलिस अधिकारी को गोली मारकर हत्या कर दी. कश्मीर जोन की पुलिस ने बताया कि सब इंस्पेक्टर फारूक अहमद मीर पर हमला शुक्रवार और शनिवार की आधी रात को पंपोर इलाके के संबूरा में हुआ. मीर सीटीसी लेथपोरा में आईआरपी 23वीं बटालियन में तैनात थे. शनिवार की सुबह उनका क्षत-विक्षत शव खेत से बरामद हुआ. सबसे बड़ी बात यह है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा लगातार टारगेट किलिंग की घटना को अंजाम दिया जा रहा है. इससे पहले आतंकियों ने एक बैंक मैनेजर और स्कूल की शिक्षिका की गोली मारकर हत्या कर दी थी. आइए, जानते हैं कि आखिर क्या है टारगेट किलिंग, जिसे आतंकी अंजाम दे रहे हैं.

क्या है टारगेट किलिंग

बता दें कि लक्षित हत्या को अंग्रेजी में टारगेट किलिंग कहते हैं. टारगेट किलिंग शब्द का इस्तेमाल 20वीं सदी से होता आ रहा है. टारगेट किलिंग के जरिए किसी को सॉफ्ट टारगेट कर उसके बारे में तमाम जानकारियां जुटाई जाती है. किसी की हत्या करने वाले आतंकियों को इस बात की अच्छी तरह से जानकरी होती है कि उन्हें कब, कहां और किस तरह हत्या की घटना को अंजाम तक पहुंचाना है. वारदात को अंजाम तक पहुंचाने से पहले आतंकी पूरी तरह से रेकी करके व्यक्ति की गतिविधियों को पुष्ट कर लेते हैं.

जम्मू-कश्मीर से टारगेट किलिंग क्या है कनेक्शन

जम्मू-कश्मीर में वर्ष 1990 के दशक से टारगेट किलिंग की शुरुआत हुई. घाटी में टारगेट किलिंग द्वारा आतंकी आम लोगों के बीच दहशत पैदा करने की कोशिश करते रहे है. अब तक आतंकियों ने सैकड़ों लोगों को टारगेट किलिंग का शिकार बनाया है. इन दिनों केंद्र सरकार कश्मीर में अल्पसं‍ख्योंको बसाने की कोशिश कर रही है, जिसे कमजोर करने के लिए आंतकी आम लोगों को टारगेट किलिंग का शिकार बना रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर में 16 लोगों की हत्या

जम्मू कश्मीर में इस साल अब तक करीब 16 लोगों को आतंकियों ने टारगेट किलिंग का शिकार बनाया है. पुलिस की मानें तो उन लोगों को टारगेट किया जा रहा जिन्हें केंद्र सरकार ने घाटी में रोजगार के माध्यम से बसाने का काम कर रही है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर से पलायन कर चुके लोगों को दुबारा बसाने की वजह से घाटी के चरमपंथियों और आतंकियों को हजम नहीं हो रही है. दहशत फैलाने के लिए अब तक कई आतंकी संगठन ने घाटी में 90 के दशक जैसा माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.

Also Read: टारगेट किलिंग : कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों ने बैंक मैनेजर की गोली मारकर की हत्या, वीडियो आया सामने
टारगेट किलिंग के क्या हैं कारण

जम्मू-कश्मीर में रहने वाले लोगों की मानें, तो आतंकी संगठन यह बिल्कुल नहीं चाहते कि केंद्र सरकार किसी योजना को घाटी में आसानी से लागू करवा सके, क्योंकि कश्मीर के लिए केंद्र सरकार की जो योजनाएं लागू की जा रही हैं, वह पलायन कर चुके लोगों के पुनर्वास के लिए है. इसके अलावा, केंद्र सरकार अलपसंख्यकों को रोजगार दिलाने की व्यवस्था भी कर रही है. पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मानें, तो केंद्र सरकार की योजनाओं से कश्मीर में रोजगार पाने वाले युवाओं की वजह से आतंकी संगठनों का तिकड़म और खतरनाक खेल खत्म हो रहा है. पहले घाटी में आतंकवादियों द्वारा बेरोजगारों को अपने मकसद के लिए इस्तेमाल करते थे. केंद्र सरकार की योजनाओं ने आतंकियों पर अंकुश लगा दिया है, जिससे वह लोगों को सॉफ्ट टारगेट कर घटना को अंजाम दे रहे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें