पटना. बिहार के किसानों को सबसे पहले परंपरागत मानसिकता को बदलना होगा. धान और गेहूं की खेती से खाने तक का अनाज मिल जायेगा. इससे आर्थिक हालात नहीं बदलेगा. बदले हुए वक्त में प्रगतिशील किसान बनना होगा. ये बातें इंडियन डेयरी एंड फॉर्म प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व जीएम अरुण कुमार ने कहीं.
शुक्रवार को प्रभात खबर की ओर से बामेति के सभागार में आयोजित बिहार किसान सम्मान समारोह के बिजनेस सत्र को संबोधित करते हुए अरुण कुमार ने कहा कि महाराष्ट्र के प्रगतिशील किसान अब ओल की खेती कर रहे है. यह खराब नहीं होता है और इसका लाइफ लंबे समय तक है. इसी तरह चुकंदर का दाम नहीं घट रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार के किसान उस ओर क्यों नहीं आ रहे है. फसल (सब्जी) को सुरक्षित रखने के लिए सोलर एनर्जी का सहारा कम कीमत पर ले सकते हैं. परंपरागत से हटकर काम करने की जरूरत है. कुमार ने कहा कि पहले उत्पादन होगा तभी तो मार्केट मिलेगा.
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के उप महाप्रबंधक अजय बंसल ने कहा कि बिहार खेती के मामले में तरक्की की है. किसानों को बीज और खाद के लिए आर्थिक मदद की जरूरत होती है वैसे किसानों को बैंक मदद करता है. उन्होंने कहा कि बैंक वेयर हाउसिंग के लिए लोन दे रहा है. ग्रुप बनाकर इसका लाभ किसान उठा सकते हैं. बंसल ने कहा कि किसान मल्टी किसानी कर दो- तीन फसल ले सकते हैं. खेत के थोड़े भाग में सब्जी उगाकर किसान अपनी आमदनी बढ़ सकत हैं. साथ ही फिलवक्त आर्गेनिक खेती का प्रचलन बढ़ रहा है. आर्गेनिक फसल का मार्केट में अच्छा रेट मिल रहा है. खासकर बड़े होटलों में इसकी मांग काफी है.
हार्वेस्ट प्लस के सीनियर प्रोडक्ट मैनेजर (बिहार-झारखंड) वीरेंद्र मेंडली ने किसानों से कहा कि पारपंरिक रूप से तैयार की गई बॉयोफोर्टिफाइड फसलों के उत्पादन के बढ़ावा देने के साथ-साथ उनकी खपत और उन फसलों की मार्केटिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके माध्यम से यह लोगों के पास पहुंचेगा, इससे पोषण और आजीविका की सुरक्षा बढ़ेगी. बॉयोफोर्टिफाइड फसलों को बढ़ावा देने पर खाद्य सुरक्षा के साथ पोषण सुरक्षा भी मिलेगी. उन्होंने कहा कि अब तो बाजार में बॉयोफोर्टिफाइड जिंक राइस और गेहूं के बीज कई प्रजापति को तैयार किया है.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया उप महाप्रबंधक अभिजीत जी पनगेरकर ने कहा कि बिहार में पांच लाख किसान से जुड़ चुके हैं. अगर किसान अपना सिविल स्कोर ठीक रखें बैंक आपको सहयोग करने के लिए हमेशा तैयार है. उन्होंने कहा कि बिहार में अधिकांश किसान परंपरागत खेती करते है. उसके बादल नये तरह की खेती करेंगे तो अधिक उपज मिलेगा. तब बैंक वित्तीय सहायता आगे बढ़कर करेगा. पनगेरकर ने कहा कि प्रोजेक्ट बनाने में बैंक हर संभव मदद करने को तैयार है. किसान क्रेडिट कार्ड को लेकर उन्होंने कहा कि अगर पूरा दस्तावेज होने पर किसानों को क्रेडिट कार्ड समय पर मिल जाता है.
बिहार मां दुर्गा एग्रो इंडस्ट्रीज के निदेशक राजन कुमार राय ने कहा कि कृषि क्षेत्र में तेजी से बदलाव हो रहा है. किसान यांत्रिक उपकरणों के साथ नयी तकनीक से खेती कर रहे हैं. इसका लाभ किसानों को मिल रहा है,लेकिन यह सच है कि फिलहाल इसका लाभ बड़े किसान उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई राज्यों में खेतीबाड़ी में ड्रोन का भी सहयोग लिया जा रहा है. लेकिन हर किसानों के लिए ड्रोन संभव नहीं है. किसानों को खेत का लेजर लेबलिंग कराना चाहिए.
यूरेका इंटरप्राइजेज के प्रबंध निदेशक योगेश मिश्रा ने कहा कि आज के दौरान में अधिक उत्पादन करना अच्छी बात है. लेकिन उत्पादन कितना सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण है. इस पर भी किसानों को ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आप जो भी रसायन का प्रयोग करते हैं. उसके बारे में जानकारी होना जरूरी है. मिश्रा ने कहा कि समय- समय पर किसानों को शिक्षित करते हैं. मॉडल के जरिये जानकारी उपलब्ध कराते हैं. दवाओं के प्रयोग के बारे में प्रशिक्षित करते हैं. ताकि सुरक्षित उत्पादन कर सकें.
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के उप महाप्रबंधक विजय कुमार ने बैंक की ओर से किसानों को दी जा रही वित्तीय सहायता के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि बिहार के आर्थिक तरक्की में किसानों को अहम योगदान है. बैंक किसानों के लिए कई स्कीम चला रहा है. स्कीम का लाभ किसान उठा रहे हैं. इसके लिए पीएनबी समय- समय पर लोन मेला का भी आयोजन करता है.
देहात के तकनीकी हेड अरुण दूबे ने कहा कि देहात खेती-किसान से जुड़े हर क्षेत्र में नावाचार के माध्यम से किसानों की हर समस्या को दूर करने के प्रयासरत है. साथ ही किसानों को सही मंडी की सुविधा उपलब्ध कराने में भी मदद करता है. उन्होंने कहा कि किसानों की सबसे बड़ी समस्या मौसम को लेकर होती है. उसे लेकर अग्रणी रूप में काम कर रहा है.
दूबे ने कहा कि संस्था तकनीक के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में आये दिन हो रहे प्रयोग से भी अवगत कराता है. सेटेलाइट के माध्यम से खेत के उर्वरकता के बारे में भी किसानों को जानकारी मुहैया कराया जाता है. इस मौके पर देहात के को-फाउंडर और निदेशक अमरेंद्र सिंह ने प्रेजेंटेशन के संस्था की ओर से चलाये जा रहे कार्य-कलाप बारे में जानकारी दी. बिजनेस सत्र का संचालन इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के चेयरमैन प्रभात कुमार सिन्हा ने किया.
पद्मश्री किसान चाची ने एक संस्था की ओर से किसानों के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रम पर एतराज जताते हुए कहा कि केवल बड़े किसानों तक उसकी पहुंच है. इसलिए उन्हें छोटे किसानों तक अपनी पहुंच बनानी चाहिए. ताकि उसका लाभ छोटे किसान उठा सके. सूबे में सबसे अधिक छोटे किसान है. इस मौके पर बैंक अधिकारियों से कहा कि किसानों के प्रति नजरिया बदले. किसानों से जुड़ स्कीम को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करें.
पद्मश्री राज कुमारी देवी, सुधांशु कुमार (बिहटा), मनीष कुमार सिंह (डुमरिया (तरारी) भोजपुर), सुधांशु कुमार (समस्तीपुर), रंजय कुमार सिंह आदि ने खेती-बाड़ी, नयी तकनीक, लोन और दवाओं के छिड़काव के बारे में विशेषज्ञों से सवाल किये.
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