दीपक राव, भागलपुर: जिले में छह माह में ब्राउन शुगर का लत पकड़ने वाले युवकों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. आंकड़ों पर गौर करें, तो पिछले छह माह में यह संख्या चार गुनी हो गयी है. युवाओं में खासकर ब्राउन शुगर की लत देखने को अधिक मिल रही है.
जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी सह मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ पंकज मनस्वी ने बताया कि ब्राउन शुगर में तीव्र लक्षण होता है. एल्कोहल में ऐसा नहीं है. दो से तीन दिन के बाद लक्षण आते हैं, जबकि ब्राउन शुगर में तुरंत लक्षण दिखने लगता है.
ब्राउन शुगर की लत वाले लोग उसे पाने के लिए किसी हद तक जा सकते हैं. असामाजिक कार्य कर सकते हैं. नशा पाने के लिए जान भी ले सकते हैं. डॉ पंकज मनस्वी ने बताया कि ब्राउन शुगर के मरीजों का मांसपेशियों में अधिक खिंचाव होता है. अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, बार-बार हाफी आना, आंख से आंसू आना, कभी गर्मी लगना तो कभी ठंडा लगने का लक्षण होता है.
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चिकित्सकों ने बताया कि ब्राउन शुगर का उपचार अलग-अलग तरीके से किया जाता है. आवासीय इनपेशेंट उपचार, लघु प्रवास उपचार, डिटॉक्सिफिकेशन, प्रेरक साक्षात्कार, व्याख्यान जैसे विकल्प प्रदान करते हैं. ये सभी प्रक्रियाएं मुख्य रूप से लगभग तीन चरणों वापसी, चिकित्सा और रखरखाव में घुमती है. ड्रॉवल को डिटॉक्स भी कहा जाता है, इसके तहत शरीर को कुछ दवाओं के प्रभाव में अनुमति दी जाती है.
डिटॉक्स के बाद पीड़ित मजे के लिए विभिन्न बाहरी गतिविधियों में व्यस्त होता है और आरामदायक महसूस करता है. उचित परामर्श का पालन करें लोगों से मेलजोल रखें. आखिरी रखरखाव है. एक बार पीड़ित के घर लौटने के बाद, दवा कुछ महीनों तक जारी रहती है.
Posted By: Thakur Shaktilochan
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