Jharkhand Weather News: गुमला जिला अंतर्गत घाघरा थाना क्षेत्र के दोदांग पाकरटोली गांव निवासी दो सगे भाई छह वर्षीय सुमित उरांव एवं आठ वर्षीय सचिन उरांव की वज्रपात की चपेट में आने से मौत हो गयी. दोनों भाई अपने घर बेलागड़ा से राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय जा रहे थे. तभी रास्ते में बारिश होने लगी. दोनों छात्र आम पेड़ के नीचे जाकर बारिश से बचने लगे. इसी दौरान अचानक वज्रपात हुई. जिसकी चपेट में दोनों आ गये और गिर पड़े. छात्रों को गिरते देख दूर खड़े कुछ लोग पहुंचे और बेहोश हुए छात्रों को उठाया. तत्काल विद्यालय के शिक्षक रंजीत कुमार सिंह को इसकी सूचना दी गयी. शिक्षक रंजीत अपने निजी वाहन से दोनों छात्रों को घाघरा सीएचसी केंद्र पहुंचाया. जहां डॉक्टरों ने दोनों छात्रों को मृत घोषित कर दिया. बता दें कि सचिन पांचवीं कक्षा एवं सुमित तीसरी कक्षा में पढ़ाई करता था. बच्चों की मौत से गांव और स्कूल में मातम है.
छात्रों की मौत से बेलागड़ा गांव में मातम
घाघरा प्रखंड के बेलागड़ा गांव में वज्रपात से दो सगे भाइयों की मौत से मातम है. स्कूल के टीचर एवं छात्र भी शोक में हैं. छात्रों के शव को देखकर सभी की आंखें नम थी. वज्रपात की चपेट में छात्रों के आने के बाद विद्यालय के सभी शिक्षक एवं ग्रामीण अस्पताल पहुंचे. जहां दोनों बच्चों को मृत पड़ा देख सभी की आंखों से आंसू गिरने लगा. ग्रामीणों ने बताया कि मृतक के माता-पिता बनालात अपनी बेटी के घर गये हैं. घर पर दोनों बच्चे अपनी बहनों के साथ थे और स्कूल जाने के लिए निकले थे. घटना की सूचना माता-पिता को दिया गया. जिसके बाद माता- पिता अस्पताल पहुंचे. दोनों बेटे को मृत देख मां एवं पिता फूट-फूट कर रोने लगे.
पांच हजार का सहयोग राशि दिया
घटना की जानकारी मिलते ही सीओ प्रणव ऋतुराज ने संबंधित पंचायत के राजस्व कर्मचारी सुशील कुमार को घटना की जानकारी लेते हुए तत्काल सहायता राशि उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. जिसके बाद कर्मचारी ने पांच हजार रुपये मृत बच्चों के अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को दिया.
अब मेरे बुढ़ापे का सहारा कौन बनेगा
मृतक बच्चों के पिता काली उरांव यह कह कर रोने लगा कि अब मेरे बुढ़ापे का सहारा कौन बनेगा. दो बेटे थे. जिसे देखकर मैं काफी खुश रहता था. अब मेरा कोई सहारा नहीं. यह कहकर पति और पत्नी फूट-फूट कर रोने लगे.
बेलागड़ा में हमेशा वज्रपात होता है
लगभग 20 वर्ष पूर्व मुकेश सिंह की मौत वज्रपात से हुआ था. इस दौरान कई लोग घायल भी हुए थे. पिछले वर्ष बिश्वा उरांव के चार बैल की वज्रपात से मौत हो चुकी है. पिछले वर्ष ही सोनी कुमारी रोपा रोपने के समय वज्रपात से घायल हुई थी. तीन वर्ष पूर्व समसाय उरांव के दो बैल वज्रपात की चपेट में आने से मर गये. हर बरसात में इस गांव में वज्रपात की घटना घटती है.
बारिश में पेड़ के नीचे खड़ा नहीं हो : सीओ
घाघरा के सीओ प्रणव ऋतुराज ने घटना के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि दुखद घटना है. इस इलाके में अत्यधिक वज्रपात होती है. आम लोगों से अपील है कि अपने व अपने घर के बच्चों परिवार वालों को यह जरूर बताये कि बारिश होने के दरमियान या खराब मौसम में पेड़ के नीचे कभी नहीं रुके. वज्रपात होने की अत्यधिक संभावना वहीं होती है. जिससे जानमाल के अधिक क्षति होती है.
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रिपोर्ट : अजीत साहू, घाघरा, गुमला.