रांची : झारखंड में अब नये वायरस की पहचान जल्द ही हो सकेगी. क्यों कि रिम्स में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. रिम्स में दो वैज्ञानिकों ने योगदान दे दिया है. रिम्स के जेनेटिक विंग में वैज्ञानिक डॉ सुनील कुमार और अरुण वेसेंट एक्का ने 13 जून को अपनी सेवा शुरू की. इसके साथ ही अब रिम्स प्रबंधन की ओर से जांच शुरू करने की रूपरेखा तैयार की जा रही है. जीनोम मशीन से बैक्टीरिया और वायरस की जांच संभव हो सकेगी. जांच के लिए सैंपलिंग किस जगह की होगी और सैंपल को संग्रहित करने के बाद उसे कहां सेंट्रीफ्यूज किया जायेगा, इसके लिए स्थान का चयन कर लिया गया है. वहीं जीनोम मशीन के इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है.
इधर,जीनोम मशीन के उपयोग लिए मंगाये जा रहे उपकरण भी आने लगे हैं. चयनित एजेंसी को लगातार पत्र भेजने के बाद कुछ उपकरण भेजे गये हैं. हालांकि दो मुख्य उपकरणों का अमेरिका से आना बाकी है. इसके आने से पहले की सारी प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं. रिम्स सूत्रों ने बताया कि इन दोनों उपकरणों के आते ही जीनोम मशीन से जांच शुरू कर दी जायेगी.
ज्ञात हो कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर के बाद दिसंबर 2021 में जीनोम मशीन का ऑर्डर दिया गया था. 45 दिनों में मशीन आनी थी, लेकिन यह मशीन दो महीना बाद मई में पहुंची है. हालांकि मशीन का कुछ कंज्युमेबल आइटम नहीं पहुंचा था, जिसके लिए दोबारा निविदा निकाली गयी है.
झारखंड में जीनोम मशीन नहीं होने से कोरोना की तीसरी लहर की जानकारी समय पर नहीं हो पायी थी. कोरोना के नये वैरिएंट ओमिक्रोन की जानकारी के लिए सैंपल भुवनेश्वर भेजे गये थे. एक महीना बाद जब सैंपल की जांच रिपोर्ट आयी, ताे पता चला था कि झारखंड में नया वैरिएंट पहुंच चुका है.
Posted By: Sameer Oraon