बिहार में आए दिन सड़क हादसे में कई लोगों की जान जाती है. इसी से चिंतित होकर सरकार एक नई पहल करने जा रही है. सरकार अब राज्य के गांवों की सड़कों पर भी सुरक्षा संकेतक लगाने की योजना बनाई है. ग्रामीण कार्य विभाग ने गांवों की नई एवं पुरानी सभी सड़कों पर संकेतक लगाना अनिवार्य कर दिया है. जिस जगह संकेतक नहीं लगाया जाएगा वहां से संबंधित इंजीनियरों पर कार्रवाई भी की जाएगी.
ग्रामीण कार्य विभाग ने बिहार के एक लाख किलोमीटर से ज्यादा ग्रामीण सड़कों पर सुरक्षा संकेतक लगाने का निर्देश दिया है. इसे नई पुरानी सभी सड़कों पर अनिवार्य रूप से लगाया जाएगा. गांवों में संभावित सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विभाग ने इंजीनियरों को इस आदेश का पालन करने का भी निर्देश दिया गया है.
बता दें की विश्व बैंक की टीम द्वारा राज्य की सड़कों का निरीक्षण किया गया था जिसमें सड़क सुरक्षा से संबंधित कई खामियाँ पाई गई. जिसके बाद विभाग ने विश्व बैंक के सहयोग से बनने वाली सड़कों पर नियमों का पालन करने के लिए कहा था. इसके साथ ही केंद्र या राज्य सरकार के फंड से बन चुकी या बनने वाली सड़कों पर भी अनिवार्य रूप से सुरक्षा संकेतक लगाने का निर्देश दिया गया है.
विभाग द्वारा मिले निर्देश के बाद अब सभी सड़कों पर संकेतक लगाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है. नई पुरानी सभी सड़कों पर यह संकेतक लगाए जाएंगे ऐसा नहीं होने पर संबंधित एजेंसी या इंजनीयिरों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2021 में राज्य भर में कुल 9 हजार 553 सड़क दुर्घटना हुई थीं, जिनमें 7 हजार 660 लोगों की मौत और 7 हजार 946 लोग घायल हुए थे. वर्ष 2020 में राज्य भर में सड़क हादसे के 8 हजार 639 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें 6 हजार 698 लोगो की मौत हुई थी. एक आकलन के मुताबिक बिहार में 40 प्रतिशत सड़क हादसे तेज रफ्तार यानी चालकों की लापरवाही के कारण होते हैं.
सुरक्षा संकेतक मूलत: यातायात के नियम सड़क की स्थिति के बारे में जानकारी देते हैं. यातायात के नियमों के भली प्रकार रख-रखाव को सुनिश्चित करने के लिये चौराहों या जंक्शनों पर, चालकों को दिशा-निर्देश या चेतावनी देते हैं. इनका उपयोग संवेदनशील स्थानों पर अनिवार्यता के साथ किया जाता है.
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