रांची: राजधानी रांची में हुई हिंसा के मामले में उपद्रवियों के साथ साथ पुलिस के कई जवान व अफसरों पर भी गाज गिर सकती है. जांच कमेटी पुलिस और प्रशासन से कई बिंदुओं पर जवाब तलब करेगी. अफसरों को यह बताना होगा कि घटना से पूर्व मेन रोड में जुलूस निकाले जाने को लेकर 48 घंटे पहले से चल रही तैयारियों जानकारी थी या नहीं. अगर थी तो घचना न हो इसके लिए क्या उपाय किये गये. अगर घटना की जानकारी नहीं थी, तो क्यों नहीं थी. किस वजह से खुफिया तंत्र को सूचना नहीं मिली.
चर्चा यह भी है कि कुछ पुलिस अफसर जुलूस निकालने वाले नेताओं के संपर्क में थे. उक्त नेताओं ने पुलिस अफसरों को आश्वस्त किया था कि पुलिस की भारी बंदोबस्त की जरूरत नहीं है. किसी तरह की भी उपद्रव नहीं होगी. लेकिन घटना हो गयी. वह नेता कौन थे, जिनके झांसे में आकर पुलिस ने समय पर पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था नहीं कर सिर्फ कुछ पुलिसकर्मियों को डेली मार्केट के समीप तैनात किया.
जांच कमेटी यह भी पड़ताल करेगी कि किसी धार्मिक स्थान से रुआंसे आवाज में भीड़ को उकसाने का काम किसने किया. ऐन घटना के पहले धनबाद के गोविंदपुर से मांडर उपचुनाव के लिए जैप-3 के जवानों को मेन रोड में अचानक क्यों तैनात किया गया. जबकि एक भी पुलिसकर्मी के पास हेलमेट नहीं था. बॉर्डी कवर गार्ड भी नहीं थे. भीड़ को देख जवानों की सांसें फूली हुई थीं.
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एक जवान अखिलेश कुमार के पैर में गोली लगी, यह गोली पुलिस की थी या उपद्रवियों की. वहीं, गोली लगने से दो उपद्रवी मारे गये, वहींं कई घायल हुए. उन्हें किसकी गोली लगी थी. क्योंकि शहर सीओ अमित भगत ने अपनी प्राथमिकी में कहा है कि पुलिस ने घटना के दिन हवाई फायरिंग की थी. लेकिन पुलिस जवान व उपद्रवियों को गोली किसकी लगी इसका उल्लेख नहीं है. घटना में एसएसपी व सिटी एसपी बाल-बाल बचे, उनकी सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं थे.
घटना से पूर्व गैंग्स ऑफ वासेपुर के नाम से वाट्सएप ग्रुप चल रहा था. इसमें नुपूर शर्मा को सजा देने के अलावा जुलूस निकालने और सबक सिखाने जैसी भड़काऊ बातें पोस्ट की जा रही थी. इसकी जानकारी पुलिस को भी मिली है. पुलिस उस ग्रुप के एडमिन की तलाश कर रही है.
राजधानी के पांच थाना क्षेत्र डेली मार्केट, कोतवाली, डोरंडा, हिंदपीढ़ी और लोअर बाजार थाना क्षेत्र में कुल 155 लोगों के खिलाफ धारा 107 के तहत पुलिस ने निरोधात्मक कार्रवाई की है.
Posted By: Sameer Oraon