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बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक पर एक जुलाई से रोक, जानें किन वस्तुओं पर रहेगी रोक

बिहार में एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध रहेगा. केंद्र सरकार की जारी अधिसूचना के बाद इस तरह का प्लास्टिक उपयोग करके वस्तु बनाने वाले उत्पादकों और दुकानदारों को एक साल का समय दिया गया था जो 1 जुलाई को खत्म हो रहा है.

बिहार में एक जुलाई से एक बार प्रयोग होने वाले (सिंगल यूज प्लास्टिक) पर प्रतिबंध रहेगा. केंद्र सरकार की एक साल पहले जारी अधिसूचना के अनुसार बिहार में भी 120 माक्रोन की मोटाई वाले प्लास्टिक की वस्तुओं के उपयोग पर पूरी तरह से रोक रहेगी. प्लास्टिक से बने कैरी बैग, प्लेटें, कप, गुब्बारों की डंडियां, चम्मच आदि का उपयोग कोई नहीं कर सकेगा. इसके अलावा कोई भी प्लास्टिक की इन वस्तुओं का निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग नहीं कर पाएगा.

सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर रोक

केंद्र सरकार की जारी अधिसूचना के बाद इस तरह का प्लास्टिक उपयोग करके वस्तु बनाने वाले उत्पादकों और इनका इस्तेमाल करने वाले दुकानदारों को एक साल का समय दिया गया था. इन वस्तुओं को ठिकाने लगाना था. यह समय अवधि एक जुलाई को खत्म होगी. इसी दिन से ऐसे प्लास्टिक के उपयोग पर रोक रहेगी. इस तरह प्लास्टिक से प्रदेश में प्रदूषण न फैले, इसे देखते हुए पूरी तरह से रोक रहेगी.

इन प्लास्टिक वस्तुओं पर रहेगी रोक

एक जुलाई से पॉली स्टाइरीन (थर्माकोल) और विस्तारित पॉली स्टाइरीन वस्तुओं सहित एक प्रयोग प्लास्टिक वस्तुओ के निर्माण, आयात, भंडारण विकरण और उपयोग पर रोक लगेगी. इन वस्तुओं में प्लास्टिक युक्त ईयर बड, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक डंडियां, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम की डंडियां, पॉली स्टाइरीन की सजावटी सामग्री पर रोक रहेगी. इसके अलावा प्लास्टिक प्लेटें, कप, गिलास, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रा, जैसी कटलरी, मिठाई के डब्बों को लपेटने वाले प्लास्टिक फिल्में, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट पैक, 100 माइक्रोन से कम मोटे प्लास्टिक के बने बैनरों पर रोक रहेगी. कंपोस्ट योग्य प्लास्टिक से बनी वस्तुओं पर यह लागू नहीं होगा.

सबसे अधिक कचरा सिंगल यूज प्लास्टिक का

प्लास्टिक कचरे में सबसे अधिक कचरा सिंगल यूज प्लास्टिक का होता है. जानकारों के अनुसार, यह स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक खतरनाक होता है. जहां तक स्कूलों में इसके प्रयोग की बात है, तो सरकारी स्कूलों में मिड डे मील के लिए चावल को छोड़कर अन्य खाद्य पदार्थों के लाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, सरकारी व निजी स्कूलों के बाहर इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है.

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