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प्रभात खबर कानूनी सलाह: महिलाओं के पास कुछ खास अधिकार, दहेज व घरेलू हिंसा से जुड़े दंड के बारे में जानें

कानून में महिलाओं को कई अधिकार दिये गये हैं. महिलाओं के कानूनी अधिकार आदि पर विस्तृत जानकारी के लिए जरूर पढ़ें कानूनी सलाह की ये खास रिपोर्ट...

कानून में महिलाओं को कई अधिकार दिये गये हैं. इसके आधार पर महिलाओं के साथ किसी भी तरह के अपराध पर कड़ी सजा का प्रावधान है. इस हफ्ते प्रभात खबर कानूनी सलाह में इसी विषय पर व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता आशुतोष राय ने महिलाओं के कानूनी अधिकार आदि पर विस्तृत जानकारी दी.

  • सवाल : महिला को माता-पिता से मिले उपहार लेकर ससुराल जाने पर क्या कानूनी प्रतिबंध है ?

उत्तर : उपहार के रूप में माता-पिता से बेटी को जो भी मिलता है, उस पर कानूनी प्रतिबंध नहीं है.

  • प्रश्न : तो फिर किस तरह के धन पर प्रतिबंध है?

उत्तर : शादी से पहले या बाद में महिला से दहेज के रूप में कुछ डिमांड होती है, तो दहेज प्रतिनिषेध अधिनियम के तहत कानून उस पर रोक लगाता है.

  • प्रश्न : दहेज के चलते महिलाओं के साथ प्रताड़ना हो, तो कानून में क्या प्रावधान है?

उत्तर : ससुराल में दहेज के चलते महिला को उसके पति से मिलने नहीं देना, भोजन नहीं देना, मारपीट करना, मायके छोड़ आना आदि मानसिक प्रताड़नाओं पर कानून का सहारा लिया जा सकता है, इसमें तीन साल तक की सजा का प्रावधान है.

  • प्रश्न : दहेज के लिए हत्या की घटनाएं अक्सर सुनने को मिलती है. इसमें क्या प्रावधान है?

उत्तर : शादी की तिथि से सात साल के अंदर अगर दहेज के लिए दुल्हन की हत्या ससुराल में हो जाती है, तो दहेज के लिए हत्या का मुकदमा चलता है. इसमें कम से कम सात साल और उम्रकैद तक की सजा होती है.

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  • प्रश्न : पत्नी का ख्याल नहीं रखता हो पति और दूसरी औरत से संबंध रखता हो, तो महिला क्या करे?

उत्तर : पति का किसी से गैर-वैवाहिक संबंध हो या पत्नी का भरण-पोषण नहीं करता हो, तो पत्नी व अवयस्क बच्चे को भरण-पोषण लेने का अधिकार है. इसमें पति की आर्थिक स्थिति के आधार पर भरण-पोषण की राशि तय की जाती है. मुकदमा चलने के दौरान भी पत्नी को अंतरिम भरण-पोषण भत्ता पति से लेने का अधिकार अदालत दिलाती है. अगर पति तलाक दे दिया हो और महिला ने दूसरी शादी न की हो, तो वह भरण-पोषण भत्ता ले सकती है. अवयस्क बच्चे को भी वयस्क होने तक भत्ता मिलेगा. यदि पति यह भत्ता नहीं देता है, तो अदालत उस पर दंडात्मक कार्रवाई कर सकती है. अगर पति ने दूसरी शादी कर ली हो और पहली पत्नी को भी साथ रखना चाह रहा हो, तो पहली पत्नी साथ न रह कर भी भत्ता ले सकती है.

  • प्रश्न : घरेलू हिंसा की स्थिति में महिलाओं को कानून के सहारे क्या मिल सकता है?

उत्तर : महिला के साथ मारपीट करना, छीना-झपटी करना, जेवर छीन लेना, मानसिक प्रताड़ना देना, शरीर पर गर्म पानी फेंक देना, यह सब घरेलू हिंसा के तहत आता है. इसमें महिला को हर तरह की सुरक्षा लेने का अधिकार है. आवासीय सुविधा, पढ़ाई खर्च आदि का अधिकार मिलता है. इसमें शिकायत महिला हेल्पलाइन में की जा सकती है. कोर्ट में भी कंप्लेन केस किया जा सकता है.

  • प्रश्न : यौन उत्पीड़न में सजा का क्या प्रावधान है?

उत्तर : यौन उत्पीड़न के चार भाग हैं. गलत नीयत से देखना, किसी उत्सव में अर्धनग्न करना, रास्ते में छेड़ना व फब्ती कसना और शारीरिक रूप से गलत नीयत से टच करना शामिल है. इस तरह के मामले में दोषी के खिलाफ तीन साल तक की सजा का प्रावधान है.

  • प्रश्न : शादी करने का झांसा देकर वर्षों तक यौन शोषण करने के मामले में कितनी सजा होती है?

उत्तर : शादी करने की बात कह कर वर्षों तक यौन शोषण करने के मामले में यह देखा जाता है कि वास्तव में धोखा हुआ है या नहीं. धोखा हुआ है, तो दोषी पुरुष को 10 साल तक की सजा होगी. सामूहिक दुष्कर्म मामले में उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है.

महिलाओं के ये भी हैं अधिकार

  • महिला की गिरफ्तारी बिना महिला सिपाही के नहीं हो सकती.

  • छापेमारी के दौरान घर में महिलाएं हैं, तो महिला पुलिस के साथ ही घर में प्रवेश किया जा सकता है.

  • महिला की व्यक्तिगत तलाशी महिला पुलिस ही कर सकती है.

  • थाने में महिला पुलिस के ही संरक्षण में महिला को रखा जा सकता है.

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Posted By: Thakur Shaktilochan

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