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Exclusive: कभी सोचा नहीं था कि बड़ी होकर एक्ट्रेस बनूंगी- उल्का गुप्ता

टीवी धारावाहिक बिन्नी चाऊ होम डिलीवरी से उल्का गुप्ता चार साल बाद वापसी कर रही है. शो शुरू हो गया है. इस शो के लिए उन्होंने हां क्यों कहा, इसपर एक्ट्रेस ने बात की.

झांसी की रानी फेम अभिनेत्री उल्का गुप्ता चार साल के लंबे अंतराल के बाद इन दिनों बन्नी चाऊ होम डिलीवरी में इनदिनों नज़र आ रही हैं. वह इस किरदार को महिला सशक्तिकरण से जोड़ती हैं क्योंकि बन्नी का किरदार ना सिर्फ आत्मनिर्भर है बल्कि वह अपने फ़ूड बिजनेस के ज़रिए दूसरों को भी काम देना चाहती है. उर्मिला कोरी के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

टीवी धारावाहिक बिन्नी चाऊ होम डिलीवरी में क्या खास था जो आपने हां कहा क्योंकि आपने साउथ की फिल्मों और वेब सीरीज में भी काम कर रही थी?

मैंने आज तक कभी ऐसा सोचा नहीं था टीवी अलग है फ़िल्म अलग और वेब अलग. भगवान की कृपा से मुझे सबकुछ अनुभव करने का मौका मिला. टीवी से मुझे हमेशा से प्यार रहा है क्योंकि इसी ने मुझे बनाया है. इसी ने मुझे फेमस किया है. मेरे लिए हमेशा से अहम किरदार रहे हैं. लोगों ने मुझे हमेशा से तगड़े किरदारों में देखा है. मुझे था कि कुछ भी हो पुराना लेवल मैच करना पड़ेगा. मैं तब तक इंतजार कर रही थी. जब तक मुझे ऐसा किरदार ना मिले. यह मेरे बाकी किरदारों से बिल्कुल अलग है. बन्नी चाव से मैं चार साल बाद टीवी पर वापसी कर रही हूं.

जब आप फ़िल्म और ओटीटी में काम कर लेते हैं तो कई लोग टीवी को हेय दृष्टि से देखते हैं?

मुझे भी बहुत लोगों ने समझाया लेकिन मैं नहीं मानी. मेरे लिए बस एक ही बात थी कि टीवी का शेड्यूल बहुत हेक्टिक होता है. फिल्मों की शूटिंग तीन महीने में पूरी हो जाती है. साउथ की फिल्में तो कभी कभी डेढ़ महीने में ही पूरी हो जाती हैं. मैंने फिर देखा कि यह टाइटल रोल है और टीवी से मुझे हमेशा से प्यार मिला है तो मैंने ऑफर को हां कह दिया.

बन्नी के किरदार से आप कितना जुड़ाव महसूस करती हैं?

बन्नी लोगों को बातों और फाइट दोनों में पछाड़ देती है. मैं बातों में तो पछाड़ देती हूं. फाइट का पता नहीं क्योंकि कभी किया नहीं है. खाने- खिलाने की मैं भी शौकीन हूं. लॉकडाउन ने वैसे भी हम सभी को मास्टर शेफ बना दिया. वैसे मैं बताना चाहूंगी कि मेरे पिता बहुत अच्छे कुक हैं. वे खाना पकाने के शौकीन हैं. मां तो अच्छा खाना पकाती ही हैं तो उनसे भी बहुत कुछ सीखने को मिला.

किरदार के लिए क्या कुछ सीखना भी पड़ा?

गाजर कैसे काटी जाएगी प्रेजेंटेशन कैसा होगा. ये सब थोड़ा शेफ से सीखा. मुझे भाषाओं का बहुत बहुत शौक रहा है. अलग अलग भाषाओं के प्रोजेक्ट्स में मैंने काम भी किया है. बन्नी का किरदार राजस्थान से है तो मारवाड़ी भाषा पर थोड़ा काम किया. मैंने एक हफ्ता लिया. मैंने हर दिन राजस्थानी गाने को सुनती हूं।. मैंने अपने डायलेक्ट कोच को भी बोला था कि आप मेरी भाषा का ख्याल रखें क्योंकि मैं बन्नी के किरदार के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती थी. भाषा के अलावा बॉडी लैंग्वेज पर भी काम किया ताकि वो जोधपुर की छोरी हर तरह से लगे.

बीते कुछ समय से टीवी इंडस्ट्री के कई शोज में ऐसे दृश्यों को दिखाया गया है जो काफी अनरियलिस्टिक थे, उनको लेकर काफी आलोचना भी हुई, आप इन बातों का कितना ख्याल रखती हैं?

इस शो से जुड़ने की वजह यही थी कि यह लोगों के साथ बहुत रिलेटबल है. सीन तो छोड़िए मेरे हर डायलॉग भी आपको काफी रिलेटबल हैं. मैं हमेशा इस बात का ध्यान रखती हूं कि मैं जो भी सीन करूं वो ड्रामेटिक हो मगर बे सिर पैर का ना हो. कभी कोई ऐसा दृश्य होगा भी तो मैं अपनी क्रिएटिव टीम से बात करूंगी. अपना पॉइंट रखूंगी उनका पॉइंट सुनूंगी. मुझे उम्मीद है कि हम दोनों ही अपनी बात को समझाकर बीच का रास्ता रख पाएंगे.

इस शो में आप बिजनेस वुमन बनने की ख्वाहिश रखती हैं क्या निजी जिंदगी में भी कोई बिजनेस करना चाहती हैं?

मैं भी एक युवा लड़कीं हूं. पैशन ने हमेशा मेरी ज़िंदगी को ड्राइव किया है. मुझे कभी लगा नहीं था कि मैं बड़ी होकर एक्ट्रेस बनूंगी लेकिन मैंने एक्टिंग को आखिरकार चुन लिया. मुझे लगता है कि जो एक्टर होते हैं. एक्टिंग से बेहद लगाव रखते हैं. उनके लिए प्लान बी नहीं होता है. बिजनेस शायद आनेवाले सालों में सोचूं. फिलहाल कुछ ऐसा सोचा नहीं है. हां, मनी मैनेजमेंट ज़रूरी है. जिस तरह से हम खाना खाते हैं पानी पीते हैं उसी तरह से मनी मैनेजमेंट भी ज़रूरी है. अपने पिता की वजह से मैंने छोटी उम्र में ही यह सब सीख लिया था.

आप बचपन से काम कर रही हैं, क्या कभी कुछ बात मिस की?

मैं खुद को खुशकिस्मत मानती हूं कि इतनी छोटी उम्र में मुझे इतना काम मिला. काम की वजह से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला आखिरकार बचपन का दूसरा नाम ही सीखना है. 11 साल की उम्र में मैं घुड़सवारी सीख रही थी. तलवारबाजी के साथ संस्कृत भी सीख रही थी. इन सबके के साथ जिम्नास्ट भी कर रही थी क्योंकि मैं शुरुआत से उससे जुड़ी थी. इन सब चीजों ने मिलकर मेरी पर्सनालिटी को गढ़ा. आमतौर पर बच्चों को बड़े लोगों से डर लगता है लेकिन मैं बड़ी उम्र के लोगों के साथ काम कर रही थी. उनसे सवाल पूछती थी. अपनी बात रखती थी.

आपकी इमेज अभी भी झांसी की रानी की है,क्या एक्टर के तौर पर आपको ये बात परेशान करती है?

मैं इस बात को नेगेटिव नहीं बल्कि बहुत पॉजिटिव तौर पर लेती हूं कि आज भी लोग मुझे झांसी की रानी के तौर पर जानते हैं. झांसी की रानी जैसा महान किरदार मुझसे जुड़ा है.

आप बिहार से आती हैं? बिहार की क्या बात आपको खास लगती है?

जी हां,मैं भले ही मुम्बई में पली बढ़ी हूं लेकिन मैं बिहार की बेटी मानी जाती हूं. झारखंड से भी गहरा नाता है। मेरे पिता बिहार से हैं जबकि मां झारखंड के गुमला से हैं. छठ पूजा के लिए कई बार बिहार जाती रहती हूं. छठ पूजा मुझे बहुत पसंद है. बिहारी खाना और बिहारी भाषा भी मुझे खूब भाती है.

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