रांची : रांची में हुई हिंसा का असर शनिवार को व्यापक तौर पर दिखा. प्रशासन की सख्ती और विभिन्न संगठनों की ओर से बुलाये गये बंद का परिणाम ये हुआ कि समान्य दिनों की तुलना में केवल 25 फीसदी मरीज ही सदर अस्पताल और रिम्स में पहुंच सके. जबकि प्रतिदिन रिम्स में तकरीबन 1500 से ज्यादा मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं.
लेकिन शनिवार को बमुश्किल 350 मरीज ही परामर्श के लिए पहुंचे थे. रिम्स का ओपीडी सुबह नौ बजे से ही शुरू हो गया था. अमूमन मेडिसिन, सर्जरी और शिशु विभाग के ओपीडी मरीजों की अच्छी-खासी भीड़ रहती है, लेकिन यहां 25 से 30 मरीज ही दिख रहे थे. सबसे अधिक परेशानी उन मरीजाें को हुई, जिनको छुट्टी मिलने के बाद अपने घर जाना था. वाहन की समस्या के कारण छुट्टी मिलने के बावजूद उनको रिम्स परिसर में ही डेरा डालना पड़ा.
सदर अस्पताल में भी सामान्य दिनों की अपेक्षा कम मरीज ही ओपीडी में परामर्श लेने पहुंचे. अस्पताल के ओपीडी शनिवार को 125 से 150 मरीज ही परामर्श लेने पहुंचे थे. मेडिसिन और स्त्री विभाग में प्रतिदिन सबसे अधिक मरीजों की भीड़ रहती थी, लेकिन इस ओपीडी में इक्का-दुक्का मरीज ही परामर्श लेने आये थे.
रांची बंद के कारण शनिवार को शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना टीकाकरण बंद रहा. जिला स्वास्थ्य कार्यालय द्वारा शनिवार के लिए सेंटर का निर्धारण किया गया था, लेकिन स्थिति का आकलन करते हुए टीकाकरण को बंद करने का फैसला लिया गया. रांची जिला के डीआरसीएचओ डॉ शशिभूषण खलखो ने बताया कि टीकाकरण में महिला स्वास्थ्य कर्मी भी है, जिनको टीकाकरण केंद्र तक जाने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता था.
वहीं, एक जगह पांच लोगों को एकत्रित करने पर प्रतिबंध भी है, इसलिए टीकाकरण को बंद रखा गया था. रविवार को भी टीकाकरण बंद रह सकता है, लेकिन अगर स्थिति ठीक रहती है, तो कुछ सेंटर पर टीकाकरण खोला जा सकता है.
Posted By: Sameer Oraon