मुजफ्फरपुर. नगर निगम चुनाव से पहले जनता पर सुविधा शुल्क के भार ने पार्षदों का पूरा गणित ही बिगाड़ दिया है. निगम बोर्ड के कार्यकाल की अंतिम घड़ी में इस नयी व्यवस्था की उम्मीद पार्षदों को नहीं थी. गुरुवार को बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. हालांकि अंत-अंत तक शुल्क को लेकर सदन और निगम प्रशासन के बीच रस्सा-कस्सी बनी हुई थी, लेकिन दांव-पेच में बाजी उल्टी परती दिख रही है. आज से सभी पार्षद निवर्तमान कहे जायेंगे. वहीं नगर निगम चुनाव सिर पर है. ऐसे में पार्षदों को अभी से चिंता सताने लगी है. कई पार्षदों का कहना है कि वार्ड में कैसे जनता के बीच वोट मांगने जाएंगे.
राजनीतिक जमीन खिसकने के डर से अभी से पार्षदों का पसीना छूटने लगा है. बोर्ड की बैठक में भी कई पार्षदों ने इस बात को रखा. फिलहाल वर्तमान सदन में बोर्ड के बैठक के दौरान भले ही शुल्क लिए जाने के निर्णय को पार्षदों ने खारिज कर दिया है. वहीं दूसरी ओर नगर निगम क्षेत्र में ट्रेड लाइसेंस शुल्क, यूजर चार्ज और पानी शुल्क की वसूली लगातार जारी है. शहरी क्षेत्र में पिछले छह माह से स्मार्ट सिटी, बुडको व आरसडी की योजनाओं ने शहरवासियों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल कर दिया है. इस वजह से भी चुनाव में नुकसान हो सकता है. लगभग इलाकों में बेतरतीब गड्ढों के कारण रोज दुर्घटनाएं हो रही हैं. इस बार निकाय चुनाव में नये उम्मीदवार भी बदहाल स्थिति को लेकर चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं.
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मुजफ्फरपुर. वर्तमान निगम सरकार की कार्यकाल नौ जून (गुरुवार) को खत्म हो जायेगी. मेयर, उप मेयर सहित निगम के तमाम पार्षद शुक्रवार से निवर्तमान कहे जाएंगे. गुरुवार को कार्यकाल की आखिरी दिन होने के कारण नगर निगम की तरफ से एक कार्यक्रम का भी आयोजन निगम सभागार में रखा गया है, जिसमें मेयर, उप मेयर सहित तमाम पार्षदों को आमंत्रित किया गया है. इधर, नगर निगम के प्रशासक के चार्ज में डीएम आ जाएंगे. नौ जून 2017 को मेयर सहित निगम के तमाम पार्षदों का शपथ ग्रहण हुआ था. चुनाव में देर होने के कारण निगम की सरकार पूरे पांच साल का कार्यकाल गुरुवार को पूरा करेगी. जब तक नगर निगम का चुनाव नहीं होता है, तब तक बतौर प्रशासक डीएम ही नगर निगम की नीतिगत निर्णय लेंगे.