Varanasi Serial Blast News: साल 2006 में वाराणसी के सिलसिलेवार बम ब्लास्ट मामले में दोषी आतंकी वलीउल्लाह को गाजियाबाद कोर्ट ने सोमवार को फांसी की सजा सुनाई है. यह फैसला 26 साल पहले बेमौत मारे गए उन सभी लोगों के लिए इंसाफ लेकर आया है, जिनके परिजन आज भी उस घटना को याद कर सिरह उठते हैं. दोषी वलीउल्लाह व उसके फरार साथियों ने संकट मोचन मंदिर, दशाश्वमेध घाट और कैंट रेलवे स्टेशन पर सीरीयल बम ब्लास्ट किए थे. आज फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद काशीवासियों ने न्याय के ऊपर अपना भरोसा जताया. उन परिजनों ने भी अपने दर्द पर 16 साल बाद मरहम महसूस किया, जिनके अपने इस बम ब्लास्ट में हमेशा के लिए उनसे बिछड़ गए.
फांसी की सजा घोषित होने के बाद से ही वाराणसी के लोगों में काफी खुशी है. वाराणसी के हिंदू-मुस्लिम सभी वर्ग के लोगों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि ऐसे आतंकियों को मारने में 16 साल काफी लंबा वक्त है. जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने 16 साल के बाद वाराणसी के मारे गए लोगों को न्याय दिला दिया है. इस बम ब्लास्ट में 22 लोग मारे गए और 76 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. उस हमले में जिन्होंने भी इसमें अपनों को खोया है. आज उनकी आंखें उस मंजर को याद कर दर्द को महसूस कर रही हैं. इतने लंबे समय के बाद आखिरकार उन्हें इंसाफ मिल ही गया. काशी की जनता दोषी वलीउल्लाह से इतनी ज्यादा खफा है कि फांसी की सजा भी उसे कम लग रही हैं.
Also Read: Varanasi Serial Blast: सपा ने कभी आतंकी वलीउल्लाह को राहत देने का बनाया था प्लान, आज हुआ फांसी का ऐलानकाशीवासियों का कहना है कि वाराणसी के संकट मोचन मंदिर में 2006 में बम विस्फोट के दौरान जिस तरह से तबाही हुई थी. उसे याद करने के बाद तो ऐसे आतंकियों को तो सरेराह गोदौलिया और लहुराबीर जैसे चौराहों पर शूली चढ़ा देनी चाहिए. जैसा कानून अरब देशों में है. हमने 16 साल में यह फैसला दिया, जो कि काफी देरी हुई. इसके लिए हमें काम करना पड़ेगा. इस घटना को याद करते हुए फरमान हैदर ने कहा कि हम लोग स्पॉट पर मदद के लिए पहुंचे थे. काफी चीख-चीत्कार मची थी. इस्लाम कहता है कि आप किसी का कत्ल नहीं कर सकते और आप तो बेगुनाहों को मार रहे हैं. वलीउल्लाह मुसलमान नहीं है. अगर होता तो इस्लाम के लिखे को समझकर ऐसी नापाक हरकत नहीं करता.
उस समय ब्लास्ट में मारे गए हरीश बिजलानी के पिता देवी दास बिजलानी बेटे का फोटो लेकर निहारने लगे. वहां आए लोगों से पिता ने फांसी की सजा मिलने पर संतुष्टि जताई. सबने कहा कि हमें कोर्ट पर पूरा भरोसा था.
उस हादसे में अपना दाहिना पैर गंवा चुके संतोष साहनी ने कहा कि उस समय अफतरा-तफरी मच गई थी. हमारा इलाज हुआ और आश्वासन मिले. गाजियाबाद कोर्ट में वह प्रस्तुत हुए थे. जहां उन्होंने गवाही भी दी. उन्होंने अपने बयान में कहा था कि आतंकी का चेहरा तो वह देख ही नहीं पाए थे. मगर आज फांसी की सजा सुनकर दिल को काफी सुकून मिल रहा है.
संकटमोचन ब्लास्ट में अपनी डेढ़ माह की बच्ची को खोने वाले अस्सी निवासी विद्याभूषण मिश्रा कहते हैं कि उनका परिवार आतिशबाजी सुनकर ही सहम जाता है. उस मंजर को कभी भूला नहीं जा सकता. संकट मोचन मंदिर में गए थे दर्शन-पूजन करने. उस दौरान उनकी डेढ़ साल की बेटी शिवांगी की धमाके में मौत हो गई थी. भतीजी गरिमा और पत्नी सुशीला भी घायल हुई थी.
गरिमा उस समय सात साल की थी. कहती हैं कि मां के जबड़े से खून निकल रहा था और बहन शिवांगी अचेत हो चुकी थी. अस्पताल पहुंचते ही उसने दम तोड़ दिया था. पूरा परिवार बिखर गया. इस ब्लास्ट में, इसे याद कर के ही आत्मा कांप उठती है.
दशाश्वमेध घाट पर ब्लास्ट में अपनी बेटी स्वास्तिका को खो चुके संतोष शर्मा कहते हैं कि 11 महीने की मासूम बच्ची ने किसी का क्या बिगाड़ा था. इस ब्लास्ट में जान गंवाने वाली आत्माओं को अब जाकर शांति मिलेगी.
संकटमोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विशंभरनाथ मिश्र ने संकटमोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर हुए सीरियल ब्लास्ट के आरोपी वलीउल्लाह को फांसी की सजा सुनाए जाने का कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा धार्मिक स्थानों पर जनता भगवान के भरोसे जाती है. बम ब्लास्ट जैसे कृत्य आत्मा को कष्ट पहुंचाते है। विधिक कार्यवाही में भले ही कोर्ट ने समय लगाया मगर निर्णय से उस घटना में मारे गए लोगों की आत्मा को शांति पहुंची है. धार्मिक स्थानों पर बम ब्लास्ट जैसी घटना सामाजिक ताना -बाना को बिगाड़ने का प्रयास था. बनारस ने उस घटना के बाद संयम और धैर्य का परिचय दिया था.
रिपोर्ट : विपिन सिंह