बिहार अपने संसाधनों से ही जाति आधारित गणना कराएगा. जातीय जनगणना के दौरान राज्य में सभी धर्मों की जातियों एवं उपजातियों की भी गिनती होगी. इसपर करीब 500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने इसपर सरकार से मांग किया है कि वो जातीय जनगणना के लिए कुछ ऐसी व्यवस्था करें जिससे जातिय जनगणना भी हो जाए और जनता पर इसका कम से कम एक भार पड़े . देव ज्योति ने कहा कि उनकी पार्टी जातीय जनगणना के पक्ष में हमेशा से ही रही है.
पार्टी प्रमुख ने इसकी घोषणा भी कर चुके हैं कि अगर राज्य सरकार अपने बूते पर जातीय जनगणना करना चाहती है तो वह पार्टी फंड से पांच करोड़ रुपए देने को तैयार हैं. यह पहल सभी राजनीतिक दलों की ओर से हो तो सरकार के राजकोष के ऊपर कम दबाव पड़ेगा. क्योंकि जातीय जनगणना कराने पर सरकार के ऊपर शुरुआती दौर में 500 करोड़ का खर्च आएगा, जो कि बढ़कर दो हजार करोड़ रुपए होने का अनुमान है.
देव ज्योति ने इसके लिए बिहार के तमाम एमपी, विधानसभा सदस्य, विधान पार्षद से आगे आने का भी आग्रह किया है. ताकि आम जनता को कम से कम अतिरिक्त बोझ पड़े. देव ज्योति ने इसके साथ ही सीएम नीतीश कुमार से मांग किया कि निषाद आरक्षण को लेकर पूर्व में अग्रसारित किए गए प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है. निषाद आरक्षण पर केंद्र सरकार राज्य सरकार द्वारा अग्रसारित किए गए प्रस्ताव पर जल्द से जल्द निर्णय लें.