जदयू के प्रदेश प्रवक्ता प्रगति मेहता ने शुक्रवार को कहा कि जाति आधारित गणना कराया जाना किसी के खिलाफ नहीं है बल्कि यह सभी दलों की सहमति से लिया गया फैसला है. उन्होंने कहा कि इन दिनों खासकर सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसके खिलाफ मुहिम चलाते हुए इसे विकास विरोधी बता रहे हैं. सच्चाई यह है कि जाति आधारित गणना के साथ ही राज्य सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण भी कराने का निर्णय लिया है. इससे लोगों की आर्थिक हालत की भी तस्वीर सामने आएगी.
जदयू प्रवक्ता ने कहा की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीति और सिद्धांत पर चलते हैं. लोगों के हित में जो भी कदम उठाना हो उससे वह पीछे नहीं हटते हैं. जब से वह मुख्यमंत्री हैं तब से उन्होंने राज्य की तरक्की और लोगों की खुशहाली के लिए एक से बढ़कर एक कदम उठाये हैं. इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर उनका खास फोकस रहा है तो साथ ही मानव के विकास के लिए भी कई योजनाएं चलाई गई हैं.
केंद्र सरकार के स्तर से यदि देश भर में जातीय जनगणना कराई जाती तो इसका सभी लोगों को फायदा होता, लेकिन अब बिहार सरकार अपने स्तर से ही जातिगत गणना कराएगी. इससे सरकार को जातियों की सही संख्या का पता चलेगा. वहीं आर्थिक सर्वेक्षण से आर्थिक हालत का पता लगेगा. इससे समाज के निचले पायदान पर रह गए लोगों को आगे लाने में सहूलियत होगी.
जदयू की प्रदेश महासचिव डॉ भारती मेहता ने शुक्रवार को कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इतिहास पुरुष बन गये हैं. जाति आधारित गणना करवाना उनकी ऐतिहासिक पहल है. पहली जातीय जनगणना के करीब 91 साल बाद हो रही इस गणना के दौरान आर्थिक सर्वेक्षण भी हो जायेगा जिससे जातियों की वास्तविक स्थिति की भी जानकारी मिल जायेगी. प्रशिक्षित कर्मियों के माध्यम से गणना आठ महीने में करा लेने का फैसला तकनीकी तौर पर बेहतरीन निर्णय है. इससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार नई ऊंचाइयों को छूएगा.