भागलपुर: 3 जून को विश्व साइकिल दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज के दौर में जब लोग अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो रहे हैं. लोग आज सुविधाभोगी होते जा रहे हैं. सड़कों पर गाड़ियों की संख्या इस कदर बढ़ चुकी है कि अब हर तरफ जाम ही जाम है. लोग पर्यावरण के साथ-साथ अपनी सेहत के लिए भी लापरवाह हो चुके हैं लेकिन आज भी कई लोग ऐसे हैं जो संपन्न होते हुए भी सादगी को साथ लेकर चल रहे हैं. साइकिल उनके लिए किस तरह जरूरी है जानिये…
भागलपुर स्थित टीएनबी कॉलेज के शिक्षक 52 साल से साइकिल चला रहे हैं. बीपी व मधुमेह जैसी बीमारी से दूर है. आज भी छोटा-मोटा काम के लिए वह साइकिल से बाजार जाते हैं, ताकि शरीर स्वस्थ बना रहे. सुबह में साइकिल से घुमने निकलते हैं. कॉलेज के जूलॉजी विभाग के वरीय शिक्षक डॉ केसी मिश्रा ने बताया कि 1970 में बीएससी की पढ़ाई करने के लिए विवि के कॉलेज में नामांकन कराया था. उस समय से अबतक साइकिल ही की सवारी कर रहे हैं. बाइक चलाना नहीं सीखा. हालांकि पुत्र बाइक से ही चलता है.
डॉ केसी मिश्रा ने बताया कि गांव से भागलपुर आ रहे थे. उस समय घर वालों ने मकई बेच कर दो सौ रुपये में साइकिल खरीद कर दिया था. उस समय साइकिल का काफी क्रेज था. उन्होंने कहा कि साइकिल चलाने का फायदा यह है कि बीपी, मधुमेह व हड्डी की बीमारी से दूर हैं. उन्होंने लोगों से अपील की है कि शरीर को स्वस्थ बनाये रखना है, तो साइकिल की सवारी करे. इससे पूरे शरीर का मूवमेंट होता है. बीमारी से बच सकते हैं. क्योंकि साइकिल जानदार व शानदार सवारी है.
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सेंट्रल लाइब्रेरी के प्रभारी विभागाध्यक्ष से सेवानिवृत्त हो चुके इशाकचक शिवपुरी निवासी डॉ जयंत जलद को पुत्र ने कार खरीद कर दी, ताकि अपने स्टेटस के साथ-साथ सवारी बदल सकें. बावजूद इसके 65 साल की उम्र में भी उन्होंने अपनी साइकिल की सवारी नहीं छोड़ी. साइकिल उनकी अब पहचान बन गयी है. पीजी डिपार्टमेंट ऑफ लाइब्रेरी साइंस के शिक्षक रहे डॉ जयंत जलद नौकरी से सेवानिवृत्ति के बाद रंगमंच से जुड़ गये. अब तक उन्होंने कई आंचलिक फिल्मों में काम किया. नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक करते हैं. इस दौरान वे साइकिल की सवारी से होने वाले फायदे से भी लोगों को अवगत कराते हैं.
जयंत जलद ने बताया कि एक पुत्र शिक्षक हैं, तो दूसरे पुत्र मुंबई में बड़े मीडिया हाउस में पत्रकार व योग टीचर हैं. पुत्र व परिवार के सदस्य उन्हें कई बार साइकिल छोड़ कर समय के अनुसार बदलने का सुझाव देते हैं. जयंत जलद ने बताया कि बाइक तो सीख भी ली, लेकिन मन नहीं माना और साइकिल को ही अपनी सवारी बना कर रखा.
बताया कि इससे पहले मैट्रिक व 12वीं पास करने के बाद जब कॉलेज की दूरी अधिक थी, तब पिताजी ने साइकिल खरीदकर दी. गौशाला रोड से टीएनबी कॉलेज तक पढ़ाई करने साइकिल से जाना शुरू किया. उस समय साइकिल खरीदना भी महंगा था. पहले सामान्य साइकिल चलाते थे. समय के साथ साइकिल का मॉडल जरूर बदल गया. अब हल्की साइकिल चलाकर अपने काम के लिए बाहर निकलते हैं. साइकिल की सवारी के कारण मन व शरीर से स्वस्थ हूं. लोगों को भी समय-समय पर यह बात समझाता हूं.
Published By: Thakur Shaktilochan