राज्य सरकार प्रदेश में जाति आधारित गणना कराने जा रही है. इसके लिए कैबिनेट से प्रस्ताव भी पारित हो गया है. राज्य सरकार अब अपने संसाधनों से बिहार में जाती आधारित जनगणना कराएगी. इस गणना को कराने में तकरीबन 9 महीने का वक्त लगेगा. जातीय गणना के लिए राज्य सरकार ने 500 करोड़ रुपये की मंजूरी भी दे दी है. जाती आधारित गणना कराने पर सहमति देने के बाद अब भाजपा ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की भी मांग कर दी है.
बीजेपी जाती आधारित गणना के फैसले के साथ है लेकिन इस समर्थन के अंदर टीस झलक रही है. जातीय गणना कराने के साथ बीजेपी ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की भी मांग कर दी है. जिसके बाद अब राजनीतिक गलियारों में सियासी बयान बाजी तेज हो गई है. बिहार सरकार में मंत्री और भाजपा नेता नीरज कुमार बब्लू ने यह मांग की है की जाती आधारित गणना के साथ साथ जनसंख्या नियंत्रण कानून भी बनना चाहिए.
मंत्री नीरज कुमार बब्लू ने कहा है की बिहार में तेजी से बढ़ती आबादी के कारण विकास का क्या काम हो रहा है यह समझ में नहीं आता. उनका कहना है की जाति आधारित जनगणना में बिहार में अवैध तरीके से रहने वाले बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की भी गणना कराई जानी चाहिए. उनका कहना है की पिछले कुछ वर्षों में बिहार की मुस्लिम आबादी में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है. ऐसे में जाती आधारित जनगणना से स्पष्ट हो पाएगा की आबादी किस रफ्तार से बढ़ रही है. ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनने से लोग विकास को महसूस कर पाएंगे.
भाजपा के इस मांग पर अब जदयू ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. नीतीश कैबिनेट में मंत्री नीरज सिंह बबलू ने जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग का जवाब देते हुए जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा की बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने पहले ही साफ कर दिया है. उन्होंने कहा की राज्य में शिक्षा का प्रसार बढ़ रहा है. उन्होंने कहा की राज्य के लोग जब शिक्षित होंगे तो निश्चित रूप से जनसंख्या पर नियंत्रण होगा. इससे पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की मांग कई बार उठा चुके हैं.