बिहार कांग्रेस की तरफ से राजगीर में आयोजित नव संकल्प शिविर आज सफलतापूर्वक संपन्न हो गया. दो दिवसीय इस शिविर में पहले दिन पार्टी के बड़े नेताओं के साथ साथ कई समूहों के प्रमुख ने अपने विचार और प्रस्ताव शिविर में पेश किया. तो वहीं शिविर के दूसरे दिन और आखिरी दिन पूर्व मंत्री अवधेश सिंह ने राजनीतिक प्रस्ताव प्रस्तुत किया.
शिविर के दूसरे दिन अलग-अलग समूहों ने अपनी रिपोर्ट पेश की जिस पर चर्चा के बाद पार्टी ने यह तय किया कि राज्य की सामाजिक और आर्थिक पुनरुद्धार के लिए कांग्रेस कार्यकर्ता कड़ी मेहनत करेंगे. इसी के साथ रोजगार, शिक्षा और चिकित्सा के लिए भी जमीनी स्तर पर संघर्ष को तेज किया जाएगा. इसके साथ ही किसानों और मजदूरों के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया जाएगा.
बिहार से मजदूरों के पलायन के कारण रोजगार को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस संघर्ष करेगी. शिविर के दूसरे और आखिरी दिन कांग्रेस नेताओं ने यह प्रस्ताव पास किया कि राज्य में जनता के लिए, जनता का, जनता के द्वारा संघर्ष के लिए जमीनी पार्टी तैयार की जाएगी. यह भी संकल्प लिया गया कि समाज को जाति और धर्म के आधार पर बंटने से रोका जाएगा और धर्म और जाति के नाम पर समाज को बांट कर राजनीति करने वालों से सीधी टक्कर ली जाएगी.
शिविर को संबोधित करते हुए कांग्रेस विधायक दल के नेता अजित शर्मा ने साफ कहा कि यह समय आपसी मतभेद का नहीं बल्कि एकजुटता के प्रदर्शन का है. हमें हिंसा और उन्माद फैलाने वालों से लड़ना है.
प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर मदन मोहन झा ने कहा कि एक-एक कार्यकर्ता यह संकल्प लें कि वह निजी हितों को त्याग कर कांग्रेस को मजबूत करने के प्रयासों में जुटेंगे. कांग्रेस मजबूत होगी तो पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता खुद मजबूत हो जाएगा.
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने कहा कि आपको ज्यादा नहीं बस दो पीढ़ी ऊपर देखना है. आप पाएंगे कि हमारे-आपके पुरखों ने कैसे अपनी कुर्बानी देकर इस देश को आजाद कराया, कैसे अपने खून के कतरे से इसकी मिट्टी को सींचा और कैसे अपनी हड्डियां गला कर इसकी एकता को कायम रखा. बस अपने पूर्वजों को देखना है और अपनी जिम्मेदारी तय करनी है.
पार्टी के प्रदेश प्रभारी भक्त चरण दास ने इस मौके पर कहा कि आइए मिलकर संकल्प लें कि हम सारे लोग अपना जीवन समाज को अर्पित करते हैं. हम सारे कांग्रेसी समाज सेवा को अपना लक्ष्य बनाएं. देश और समाज के सामने जो चुनौतियां हैं उनका डटकर मुकाबला करें. राजनीति को सिर्फ पद पाने या सत्ता पाने का मार्ग ना समझें. अगर सेवा का भाव नहीं है तो वैसे लोगों के लिए राजनीति नहीं है .