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लॉकडाउन में ‘लाठी’ का करतब दिखाने वाली 85 साल की शांताबाई पर बनी डॉक्यूमेंट्री, जानिए कौन हैं योद्धा आजी

बात जुलाई 2020 की है, जब सोशल मीडिया पर पुणे की 85 वर्षीय शांताबाई पवार एक वीडियो में लाठी-काठी का करतब दिखाती नजर आ रही थीं. यह वही समय था, जब कोरोना महामारी के प्रसार की रोकथाम के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगा था.

नई दिल्ली : कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को करीब-करीब तबाह करके रख दिया. भारत में भी कोरोना महामारी की शुरुआत में ही संपूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया. इससे पूरे देश में अफरा-तफरी मच गई. सारी गतिविधियां ठप हो गईं. लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि आजीविका कैसे चलेगी, लोगों का पेट कैसे भरेगा. बच्चे और बुजुर्ग ही नहीं, नौजवान भी सड़कों पर उतर आए. लोगों के सामने खाने के लाले पड़ गए. ऐसी विकट स्थिति में महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाली 85 साल की शांताबाई पवार ने ‘लाठी-काठी’ का करतब दिखाकर (लाठी भांजकर) लोगों को अचंभित कर दिया. उनका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और देखते ही देखते वह इंटरनेट और आभासी दुनिया की ‘सनसनी’ बन गईं.

‘शांताबाई’ डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की फिल्म डिवीजन (इंडियन पैनोरमा) ने डोम्बरी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली शांताबाई पवार की जिंदगी पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘शांताबाई’ बनाई है. ‘शांताबाई’ नामक इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म आज गुरुवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की फिल्म डिवीजन कॉम्प्लेक्स में प्रदर्शित की गई. इस बाबत प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) ने ट्वीटकर जानकारी दी कि गुरुवार सुबह 10 बजे डोम्बरी समुदाय की शांताबाई पवार के जीवन पर आधारित फिल्म ‘शांताबाई’ का प्रदर्शन किया गया.


रितेश देशमुख ने दिया योद्धा आजी नाम

बात जुलाई 2020 की है, जब सोशल मीडिया पर पुणे की 85 वर्षीय शांताबाई पवार एक वीडियो में लाठी-काठी का करतब दिखाती नजर आ रही थीं. यह वही समय था, जब कोरोना महामारी के प्रसार की रोकथाम के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगा था. लॉकडाउन के दौरान अपने परिवार के अनाथ बच्चों का पेट भरने के लिए उन्हें जब कोई उपाय नहीं सूझा तो उन्होंने वृद्धावस्था के बावजूद लाठी-काठी के करतब दिखाने की ठानी. इसका नतीजा यह रहा कि जब सोशल मीडिया पर उनका वीडियो वायरल हुआ तो बॉलीवुड अभिनेता रितेश देशमुख ने उन्हें ‘योद्धा आजी’ यानी वीर दादी के नाम से पुकारा. इतना ही नहीं, बॉलीवुड अभिनेत्री नेहा कक्कड़ ने उन्हें एक लाख रुपये की रकम भी मुहैया कराई.

आठ साल की उम्र में सीखीं लाठी चलाना

मीडिया से बातचीत के दौरान बुजुर्ग शांताबाई पवार ने बताया कि आठ साल की उम्र में ही उनके पिता ने उन्हें लाठी भांजने की विद्या सिखाई थी. उनके पिता ने इसके लिए काफी मेहतन की थी. इसके बाद उन्होंने इस विद्या को अपना पेशा बना दिया. इस विद्या को प्रदर्शित करने के लिए उन्होंने कई शहरों और स्थानों की यात्रा भी की. कोरोना महामारी के दौरान जब पूरा देश घरों में दुबका था, तब अपने परिवार के अनाथ बच्चों का पेट पालने के लिए उन्होंने लाठी-काठी के करतब को अपना हथियार बनाया और प्रदर्शन करने के लिए सड़क पर उतर आईं.


अनाथ बच्चों का बनती हैं सहारा

मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि उनके परिवार में कई अनाथ बच्चे भी हैं, जिनके भरण-पोषण का जिम्मा उनके ही कंधों पर है. उनके खुद के पोते भी पढ़ाई करते हैं. शांताबाई पवार कहती हैं कि भगवान की कृपा से मैं इस उम्र में प्रदर्शन करने और अपनी आजीविका चलाने में सक्षम हूं. मेरे पोते अपनी पढ़ाई कर रहे हैं और हम खुश हैं. उन्होंने यह भी बताया था कि वह अपने यहां अनाथ बच्चों का लालन-पालन करती हैं. लॉकडाउन में बच्चों के पेट भरने के लिए पैसे की कमी होने पर ही उन्होंने लाठी-काठी दिखाकर पैसा जुटाने की कोशिश की, जिसका उन्हें अच्छा परिणाम मिला.

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महिला दिवस पर दिल्ली में भी किया प्रदर्शन

सोशल मीडिया और यूट्यूब पर शांताबाई पवार की लाठी का करतब वायरल होने के बाद आठ मार्च 2021 को महिला दिवस के अवसर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उन्हें सम्मानित किया. महिला दिवस के मौके पर दिल्ली महिला आयोग की ओर से शांताबाई पवार के सम्मान में वॉरियर आजी नामक एक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया. इस कार्यक्रम में शांताबाई पवार ने एक बार फिर अपने हुनर का करतब दिखाकर लोगों को अचंभित कर दिया था.

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