12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Rambha Teej 2022: जीवन में प्रेम और सौभाग्य लाता है रंभा तीज व्रत, जानें कौन है यह अप्सरा ?

Rambha Teej 2022: रंभा तीज ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है. यह व्रत सुहागिन महिलाओं के साथ ही कुवांरी कन्याएं भी करती हैं. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने वाली महिलाओं के जीवन में प्रेम और सौभाग्य भरपूर होता है.

Rambha Teej 2022: रंभा तीज व्रत को सौंदर्य और सौभाग्य का व्रत माना जाता है. यह ज्येष्ठ माह (Jyeshta Maah) के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है. इस बार यह व्रत 2 जून को रखा जा रहा है. यह व्रत सुहागिन महिलाओं के साथ ही कुवांरी कन्याएं भी करती हैं. यह व्रत विशेष रूप से फलदायी होता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन अप्सरा रंभा (Apsara Rambha) के विभिन्न नामों की पूजा करने से व्रती को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव, माता पार्वती और देवी लक्ष्मी की पूजा करती हैं. जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, इस व्रत का महत्व.

रंभा तीज व्रत डेट, शुभ मुहूर्त (Rambha Teej Vrat Date Shubh Muhurat)

ज्येष्ठ माह (Jyeshta Maah) के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ने वाला यह व्रत महिलाओं के जीवन में प्रेम और सौभाग्य लाता है. इस बार यह व्रत 2 जून को रखा जाएगा.

तृतीया तिथि का आरंभ- 1 जून बुधवा, रात 09 बजकर 47 मिनट से.

तृतीया तिथि समाप्त- 3 जून, शुक्रवार, रात 12 बजकर 17 मिनट पर.

कौन थी अप्सरा रंभा (Who was Apsara Rambha)

पौराणिक कथा की मानें तो रंभा अप्सरा की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी. रंभा पुराणों में सौंदर्य का प्रतीक मानी गई है. रंभा तीज का व्रत रंभा अप्सरा को समर्पित है. जब देवता और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था. उसी समुद्र मंथन में निकले 14 रत्नों में से एक अप्सरा रंभा भी थी.

रंभा तीज मंत्र (
Rambha Teej Mantra)

रंभा तीज व्रत रखने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत का पूजन विधि पूर्वक करने से यौवन और आरोग्य मिलता है. इस दिन दान करना भी अत्यंत शुभफलदायी माना गया है.

रंभा तीज व्रत के पूजन में इस मंत्र का जाप करें-

ॐ ! रंभे अगच्छ पूर्ण यौवन संस्तुते

Also Read: Nirjala Ekadashi 2022: कब है निर्जला एकादशी? जानें सही डेट, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और पारण का समय
रंभा तीज व्रत पूजा विधि

  • इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि करके व्रत एवं पूजा का संकल्प लें.

  • पूजा स्थल पर पूर्व दिशा में मुंहकर के पूजा के लिए बैठें.

  • स्वच्छ आसन पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें.

  • पूजा में पांच दीपक जलाएं.

  • सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें.

  • इसके बाद 5 दीपक की पूजा करें.

  • इसके बाद भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें.

  • पूजा में मां पार्वती को कुमकुम, चंदन, हल्दी, मेहंदी, लाल फूल, अक्षत और अन्य पूजा की सामग्री चढ़ाएं.

  • वहीं भगवान शिव गणेश और अग्निदेव को अबीर, गुलाल, चंदन और अन्य सामग्री चढ़ाएं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें