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कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के फर्स्ट मूवर्स कोलिशन में शामिल हुआ भारत, झारखंड पर होगा व्यापक प्रभाव

भारी उद्योगों और लंबी दूरी के परिवहन क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने की पहल जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में हुई थी. भारत सरकार के इस फैसले का झारखंड पर भी व्यापक असर होगा.

Just Transition News : भारत भारी उद्योगों और लंबी दूरी वाले परिवहन क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की वैश्विक पहल ‘फर्स्ट मूवर्स कोलिशन’ में शामिल हुआ है. इसके बेहतर परिणाम सामने आ सकते हैं क्योंकि वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन में भारी उद्योगों और लंबी दूरी के परिवहन क्षेत्रों की भागीदारी 30 प्रतिशत है.

जस्ट ट्रांजिशन की समस्या होगी गंभीर

भारत की इस भागीदारी की सूचना 25 मई को सामने आयी है. भारी उद्योगों और लंबी दूरी के परिवहन क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने की पहल जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में हुई थी. भारत सरकार के इस फैसले का झारखंड पर भी व्यापक असर होगा. संभवत: सरकार की इस पहल से जस्ट ट्रांजिशन की समस्या और बड़ी हो. झारखंड में कई थर्मल पावर प्लांट हैं और अगर इनमें कार्बन उत्सर्जन को कम करने की पहल हुई तो जस्ट ट्रांजिशन की सख्त जरूरत होगी. एनर्जी ट्रांजिशन का फैसला कई गंभीर परिणाम सामने ला सकता है.

जमशेदपुर और बोकारो की पहचान भारी उद्योग 

झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां भारी उद्योग लिमिटेड है, जिसकी स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल ने की थी. भले ही यह लिमिटेड कंपनी आज खस्ता हाल है, लेकिन इसके बोकारो स्टील को खड़ा किया है. झारखंड में जमशेदपुर और बोकारो जैसे शहर हैं, जिनका अस्तित्व ही भारी उद्योगों की वजह से है. इनके अलावा मुरी का बाॅक्साइट कारखाना, टेल्को कंपनी आदि भी हैं. हालांकि अभी यह नीति पूरी तरह से उजागर नहीं हुई है कि आखिर सरकार इन भारी उद्योगों से कैसे कार्बन उत्सर्जन कम करवाएगी.

फर्स्ट मूवर्स कोलिशन का झारखंड पर असर

फर्स्ट मूवर्स कोलिशन में एल्युमीनियम, विमानन, रसायन, कंक्रीट, जहाज परिवहन और इस्पात जैसे क्षेत्रों पर जोर दिया गया है. झारखंड में यह तमाम उद्योग और परिवहन के साधन मौजूद हैं, ऐसे में झारखंड के लिए यह नीति काफी महत्वपूर्ण है. झारखंड हवाई यातायात, सड़क और जफर्स्ट मूवर्स कोलिशन मार्ग से भी जुड़ा है, ऐसे में कार्बन उत्सर्जन को कम करना एक बड़ी चुनौती भी है.

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