झारखंड विधानसभा में आज राज्यसभा चुनाव के लिए झारखंड मुक्ति मोरचा की तरफ से डॉ महुआ माजी ने नामांकन कर दिया. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार आदित्य साहू ने भी तीन सेट में नामांकन दाखिल किया है. राज्यसभा चुनाव को लेकर झारखंड की राजनीतिक खूब चर्चा में रही.
कांग्रेस ने सबसे पहले कोशिश करते हुए मुख्यमंत्री से मुलाकात की और कांग्रेस का उम्मीदवार राज्यसभा जाये इसकी कोशिश हुई. मुख्यमंत्री ने झारखंड मुक्ति मोरचा के विधायक दलों से बात की विशेष चर्चा के लिए कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. उम्मीदवार के नाम का ऐलान हुआ डॉ महुआ माजी जेएमएम की तरफ से उम्मीदवार बनी और आज नामांकन के दौरान कांग्रेस का कोई नेता नजर नहीं आया. हमने मौजूदा और भविष्य की राजनीति और रणनीति समझने की कोशिश प्रभात खबर के ब्यूरो प्रमुख आनंद मोहन से.
राज्यसभा चुनाव की जैसे ही चर्चा तेज हुई तारीख का ऐलान हुआ, कांग्रेस ने पहले दावा किया और खुद को राष्ट्रीय पार्टी होने का वजह बताया. कांग्रेस प्रभारी लगातार प्रयास में थे कि कांग्रेस का उम्मीदवार हो. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब जेएमएम विधायक दल की बैठक के बाद दिल्ली गये तो कांग्रेस का एक खेमा उत्साहित हो गया कहा गया कांग्रेस आ रही है. झारखंड मुक्ति मोरचा ने पहले भी बाहर से प्रत्याशी दिये हैं. प्रत्याशी को लेकर सस्पेंश था इस बार जेएमएम ने साहित्यकार, वरिष्ठ नेता , स्थानीय चेहरे को आगे किया. भारतीय जनता पार्टी ने भी यही किया. कांग्रेस के खेमे में जिन नामों की चर्चा थी उनमें कई बड़े नेता शामिल थे. कांग्रेस को अपनी नाराजगी का एक संकेत देना है तो इसी तरह संकेत दिया जा रहा है. सरकार पर यह तात्कालिक प्रेशर इसका कोई दूरगामी असर नहीं दिखेगा.
गठबंधन की सरकार अगर आप किसी चीज पर दावा कर रहे हैं और आपका नहीं मिलता, तो तात्कालीक रूप से असर पड़ता है लेकिन यह भी देखना है कि आपकी ताकत क्या है. राजनीतिक आंकड़ों पर चलती है, जेएमएम औऱ कांग्रेस में लगभग आधे का अंतर है. आंकड़ों के हिसाब से राज्य की सबसे बड़ी पार्टी है. अभी कांग्रेस किसी उम्मीदवार को उतार कर दबाव बनाने की स्थिति में नहीं है. खेल आंकड़ों का है.
दो सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं . अब निर्विरोध है, अब तय है कि आदित्य साहू और महुआ माजी राज्यसभा सांसद हैं. हां नामांकन की स्क्रूटनी सही निकले.
झारखंड राज्यसभा चुनाव को लेकर बदनाम रहा. हार्स ट्रेडिंग के आरोप लगे, क्रास वोटिंग का आरोप लगा. इस बार के चुनाव में ये होता नजर नहीं आ रहा है. पार्टियां अपने उम्मीदवारों से बंधी है. यह बेहतर हुआ है झारखंड की राजनीति के लिए. राज्यसभा के अंदर के मुद्दों के बात रही तो पहले भी सांसदों ने यह कोशिश की है. उच्चसदन में भी दोनों झारखंड की आवाज बनेंगे. बनने चाहिए.