पटना. बिहार में पिछले आठ साल में रेलवे द्वारा आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए नयी लाइन, आमान परिवर्तन, दोहरीकरण व विद्युतीकरण के क्षेत्र में कई काम पूरे हुए हैं. इससे इस क्षेत्र में विकास को एक नयी दिशा मिली है. पीएम के विजन व मार्गदर्शन में भारतीय रेल नयी उंचाइयों को छू रहा है.
वर्ष 2014 से 2022 तक बिहार में 309 किमी नयी रेललाइन का निर्माण हुआ. 370 किमी रेललाइन का आमान परिवर्तन व 243 किमी रेल लाइन का दोहरीकरण पूरा हुआ है. इस पर ट्रेनों का परिचालन हो रहा है. बिहार में रेलवे की आधारभूत संरचनाओं व यात्री सुविधा के विकास के लिए 2014-2022 तक प्रतिवर्ष औसतन 3960 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया. इसका परिणाम है कि बिहार में काफी तेजी से लंबित रेल परियोजनाओं के साथ ही नयी परियोजनाओं को पूरा किया जा सका है.
कोसी नदी पर पुल निर्माण के 88 साल बाद विभाजित मिथिला जुड़े हैं. रेलवे द्वारा गंगा नदी पर दीघा पटना, दूसरा मुंगेर में दो महासेतु का निर्माण हुआ. सोन नदी पर डेहरी- ऑन-सोन और सोननगर के बीच नये पुल, हाजीपुर एवं सोनपुर के बीच गंडक नदी पर दूसरा रेल पुल तथा कोसी नदी पर कटरिया और कुरसेला के बीच एक नया पुल का निर्माण कार्य पूरा हुआ. पीएम ने 12 मार्च, 2016 को पटना व मुंगेर में नवनिर्मित रेल सह सड़क पुल, 18 सितंबर, 2020 को कोसी महासेतु को राष्ट्र को समर्पित किया था.
2019-2020 में
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30 किमी घोसवर-वैशाली,
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21 किमी लंबे इसलामपुर-नटेसर नयी रेल लाइन,
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10 किमी समस्तीपुर-किशनपुर,
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14 किमी भगवानपुर-घोसवर,
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20 किमी बछवारा- मोहीउद्दीनगर,
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13 किमी मोहीउद्दीनगर-शाहपुर पटोरी,
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18 किमी लंबे मानपुर-वजीरगंज
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14 किमी बख्तियारपुर लिंक-बाढ़ रेलखंड का दोहरीकरण.
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25 किमी सुपौल-सरायगढ़,
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11 किमी गढ़बरूआरी-सुपौल,
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09 किमी मंडन मिश्र-झंझारपुर रेलखंड का आमान परिवर्तन .
2020-2021 में
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13 किमी सरायगढ़-आसनपुर कुपहा नयी रेल लाईन
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09 किमी दरभंगा-थलवारा रेलखंड का दोहरीकरण.