Jharkhand News: झारखंड के हजारीबाग जिले के चौपारण के दैहर, सोहरा एवं हथिन्दर गांव में बौद्ध एवं सनातन धर्म के स्वर्णिम केंद्र होने के कई प्रमाण मिल रहे हैं. इसे भारतीय पुरातत्व विभाग के जानकार प्रमाणित कर चुके हैं. मानगढ़ एवं दैहर में विकसित सभ्यता के कई प्रमाण मिले हैं. इतिहासकारों के लिए खोज के केंद्र हैं दैहर, सोहरा एवं मानगढ़. इन गांवों में कई रहस्य छिपे हुए हैं. दैहर, सोहर एवं हथिन्दर गांव के बुद्ध सर्किट से जुड़े रहने के कई प्रमाण मिले हैं.
मानगढ़ गांव में बड़ा बौद्ध स्तूप
मानगढ़ में कई ऐसे प्रमाण मिले हैं, जिससे मूर्तियों के अति प्राचीन होने की पुष्टि होती है. मानगढ़ गांव में झारखंड का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप (मिट्टी में छिपा) है. इतिहासकारों को मानें तो बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद बुद्ध की अस्थियों को आठ भागों में विभाजित किया गया था, जिसमें एक भाग नागों को दिया गया था, जो छोटानागपुर वर्तमान में झारखंड में रहते थे. मानगढ़ का स्तूप भगवान बुद्ध का धातु स्तूप रहा होगा. क्षेत्र में अभी तक इतना बड़ा स्तूप और कहीं नहीं मिला है. सरकार को सेटेलाइट सर्वे कराकर इस क्षेत्र को सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करना चाहिए. मानगढ़ में बरामद एनबीपीडब्ल्यू की संभावित तिथि 1000 बीसी होने की उम्मीद है.
दैहर, सोहरा एवं मानगढ़ में छिपे हैं कई रहस्य
इतिहासकारों के लिए खोज के केंद्र हैं दैहर, सोहरा एवं मानगढ़. इन गांवों में कई रहस्य छिपे हुए हैं. दैहर, सोहर एवं हथिन्दर गांव के बुद्ध सर्किट से जुड़े रहने के कई प्रमाण मिले हैं. दैहर गांव के बीचोंबीच स्थापित कमला मंदिर में स्थापित प्रतिमाएं अति प्राचीन हैं, जो बगल के वर्षों पुराना एक कुएं से खुदाई के क्रम में मिली है, वहीं मंदिर के आसपास कई विखंडित प्रतिमाएं आज भी विराजमान हैं. सोहर के शमोखर मंदिर में स्थापित प्रतिमा भी अति प्राचीन है, जहां वर्षों से आस्था प्रेमी पूजा-पाठ करते आ रहे हैं.
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रिपोर्ट : अजय ठाकुर