Jharkhand News: गुमला जिला अंतर्गत पालकोट प्रखंड के डहुपानी पंचायत स्थित अति उग्रवाद प्रभावित गांव बोराडीह में पालकोट वन विभाग के वनरक्षी गोकुल कुमार महतो, दैनिक भत्ता कर्मी किस्टो कर्मकार और दीपक सिंह को ग्रामीणों ने छह घंटे तक बंधक बनाकर रखा. देर शाम को इन तीनों को मुक्त किया गया. ये तीनों वनकर्मी वन का सर्वे करने गये थे. ग्रामीणों को लगा कि जंगल की घेराबंदी करने के लिए सर्वे किया जा रहा है. इसलिए ग्रामीणों ने तीनों वनकर्मियों को पकड़ लिया और गांव में ही बंधक बनाकर रखा.
ग्रामीणों को घंटों समझाने के बाद छूटे तीन वन कर्मी
इधर, किसी तरह बंधक बने कर्मचारियों ने वन विभाग के अधिकारी को मोबाइल में संदेश भेजा कि हमलोगों को गांव में बंधक बना लिया गया था. पालकोट वन विभाग के वनपाल कृष्णा कुमार महतो, पालकोट थाना प्रभारी राहुल कुमार झा को सूचना मिली. इसके बाद पालकोट थाना प्रभारी दल-बल के साथ बोराडीह गांव जाकर ग्रामीणों के साथ बैठक कर लोगों को समझाते हुए तीनों कर्मियों को मुक्त कराया.
ग्रामीणों की चेतावनी
थानेदार एवं वनपाल ने कहा कि वन विभाग द्वारा किसी ग्रामीण को किसी प्रकार का विस्थापित करने की योजना नहीं है. सिर्फ वन विभाग अपने क्षेत्र में वन क्षेत्र का रखवाली करने के लिए आये हैं. इधर, ग्रामीणों का कहना है कि आप लोग जब भी गांव आतें हैं. पहले ग्रामीणों को सूचना दें. इस तरह से चोरी छुपे गांव में प्रवेश नहीं करेंगे. अगर ऐसे करेंगे, तो फिर हमलोग गांव वाले बंधक बनाकर रखेंगे.
थाना प्रभारी ने ग्रामीणों को समझाया
इधर, थाना प्रभारी द्वारा ग्रामीणों को कहा गया कि आप लोग थाना आये और सारी सूचना दें. बता दें कि चार साल पहले भी वन विभाग के कर्मचारी को बोराडीह गांव में बंधक बनाकर रखा गया था. पुलिस प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उस समय भी वनकर्मियों को बचाया था.
रिपोर्ट: दुर्जय पासवान, गुमला.