Jharkhand Rajya Sabha Chunav रांची: राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी अभी भी वेट एंड वाच की स्थिति में है. उसकी निगाहें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया की मुलाकात पर टिकी हुई हैं. इसके बाद ही पार्टी की ओर से स्पष्ट निर्णय लिया जायेगा कि पार्टी अपना उम्मीदवार देगी अथवा नहीं. इस संबंध में पूछे जाने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि महागठबंधन में सामूहिक निर्णय लिये जाते हैं.
रविवार को मुख्यमंत्री व पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ मुलाकात होने वाली है. प्रभारी अविनाथ पांडेय समेत प्रदेश के नेताओं ने पहले ही मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी भावना से अवगत करा दिया है. केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश के बाद आगे की रणनीति पर निर्णय लिया जायेगा. इधर राज्यसभा के चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी के दावेदार पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार व पूर्व सांसद फुरकान अंसारी अपने लिए लॉबिंग करने में जुटे हुए हैं.
कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय नेताओं को झारखंड से एडजस्ट करना चाहती है. पार्टी का प्रयास है कि ऐसे नामों पर सहमति बनाया जाये, जो झामुमो को भी स्वीकार्य हो. कांग्रेस के कई कद्दावर नेता हैं, जिनका राज्यसभा का कार्यकाल पूरा हो गया है या पूरा होने जा रहा है. इसमें जयराम रमेश, पी चिदंबरम, रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक समेत कई नेताओं के नाम शामिल हैं.
इसी को लेकर कांग्रेस झामुमो से सहमति बनाना चाह रही है. कांग्रेस अपनी रणनीति के तहत झामुमो से बातचीत भी करेगी. प्रयास किया जायेगा कि महागठबंधन में एक सर्वमान्य नेता उम्मीदवार बने. इधर कांग्रेस के अंदखाने में चर्चा है कि अगर झामुमो अपना उम्मीदवार दे देता है, तो पार्टी पिछले राज्यसभा की तरह अपना उम्मीदवार देने के पक्ष में नहीं है.
आदिवासी संगठनों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को ज्ञापन सौंप कर राज्यसभा चुनाव में किसी आदिवासी को मौका देने की मांग की है. प्रतिनिधिमंडल में झारखंड, अोड़िसा व छत्तीसगढ़ के कई आदिवासी संगठन के लोग शामिल थे. पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि राज्यसभा चुनाव में किसी आदिवासी को मौका मिलना चाहिए.
यहां पर करमा उरांव, बंधन तिग्गा व देवेंद्र चांपिया जैसे लोग हैं. इस पर कांग्रेस को विचार करना चाहिए. अगर आदिवासी समाज के लोग राज्यसभा में जायेंगे, तो झारखंड की प्रतिष्ठा बढ़ेगी. झामुमो को इस पर विचार करना चाहिए. झारखंड से इस तरह के सामाजिक व धार्मिक संगठनों से जुड़े लोगों को भेजकर कर अलग संदेश देने की जरूरत है.
Posted By: Sameer Oraon