Garhwa District में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हो जाने के बाद प्रखंडों में जहां प्रमुख पद को लेकर वहीं जिला मुख्यालय में जिला परिषद अध्यक्ष पद को लेकर चर्चा गर्म है. यद्यपि यह चुनाव दलीय आधार पर नहीं हुआ है, लेकिन मुखिया और पंचायत समिति सदस्य से लेकर जिला परिषद के सदस्य के चुनाव में प्रमुख राजनीतिक दलों ने पूरी रूचि ली है. विशेषकर भाजपा और झामुमो इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रही है. दोनों ही पार्टियों ने मुखिया और पंचायत समिति सदस्यों के अलावा जिला परिषद के उम्मीदवारों को या तो अपने दल की ओर से अघोषित रूप से खड़ा किया अथवा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों में से अपने दल की विचारधारा से मेल खाने वाले का समर्थन किया. पार्टियों ने न केवल समर्थन किया, बल्कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिये आर्थिक मदद करने के साथ-साथ उन्हें जीत दिलाने के लिये अपने संगठन से सहयोग भी किया है. खासतौर पर गढ़वा जिला परिषद के अध्यक्ष के पद को भाजपा और झामुमो अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रही है. ऐसे में अध्यक्ष पद का चुनाव काफी दिलचस्प होने की संभावना है. उल्लेखनीय है कि प्रथम चरण के पांच प्रखंडों का चुनाव परिणाम घोषित हो चुका है. जबकि तृतीय व चतुर्थ दो चरण में हुये शेष 15 प्रखंडों का चुनाव परिणाम आना अभी बाकी है. चुनाव परिणाम आने के बाद जिला परिषद का अध्यक्ष पद किस दल की झोली में जायेगा, यह स्पष्ट हो जायेगा.
झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर गढ़वा जिला मुख्यालय से विधायक हैं. इसलिये उनका पूरा प्रयास होगा कि जिला परिषद के अध्यक्ष पद कोई झामुमो का व्यक्ति हो. यह उनके लिये प्रतिष्ठा का सवाल होना स्वाभाविक भी है. जबकि इधर विपक्ष में भाजपा अपने दल के व्यक्ति को चेयरमैन बनाना चाहेगी. जिले के दो पूर्ण व दो अर्द्ध विधानसभा क्षेत्रों से सिर्फ गढ़वा विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर शेष सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है. भवनाथपुर विधानसभा से भानु प्रताप शाही भाजपा के विधायक हैं, वहीं मझिआंव-विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र से रामचंद्र चंद्रवंशी व डालटनगंज-भंडरिया विधानसभा क्षेत्र से आलोक चौरसिया भाजपा के विधायक हैं. इसमें श्री चंद्रवंशी के मझिआंव, कांडी व बरडीहा तथा आलोक चौरसिया के भंडरिया व बड़गड़ प्रखंड गढ़वा जिले में पड़ते हैं. इसके अलावा गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा का मजबूत सांगठनिक आधार है. इसके कारण भाजपा के लिये जिप अध्यक्ष अपने दल से बनाना प्रतिष्ठा की बात हो जाती है. विशेषकर तब जब इसके पूर्व अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष दोनों की पदों पर भाजपा का पूर्व से कब्जा था. इसके कारण इस बार अध्यक्ष पद का चुनाव दलीय आधार पर नहीं होने के बावजूद दिलचस्प रहेगा. उल्लेखनीय है कि गढ़वा जिले में जिला परिषद अध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति महिला के लिये आरक्षित है. इसलिये अनुसूचित जाति की महिला के पक्ष में विजयी जिप सदस्यों का ध्रुवीकरण कराना और दिलचस्प हो जाता है.
जिला परिषद सदस्य के चुनाव में एक ओर जहां मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर की पैनी निगाह थी, वहीं भाजपा की प्रदेश कमिटी भी अपने स्तर से समर्थित प्रत्याशियों को न सिर्फ सांगठनिक रूप से सहयोग कर रही थी, बल्कि आर्थिक सहयोग भी कर रही थी. लेकिन स्थानीय स्तर पर भाजपा नेताओं को दो गुटों में बंटे रहने के कारण अधिकांश जगहों पर उम्मीदवारों को लेकर भाजपा नेताओं में एक नाम पर सहमति नहीं बन पायी. इसके कारण झामुमो से अलग भाजपा नेता स्वयं दो गुटों में बंटकर अपने-अपने समर्थित उम्मीदवारों के लिये काम किये. इसका लाभ एकजुट रही झामुमो संगठन को मिला है. गौरतलब है कि प्रथम चरण के जिला परिषद के छह घोषित पदों के घोषित परिणामों में से पांच पर झामुमो प्रत्याशी की जीत हुई है. यदि यही स्थिति तीसरे और अंतिम चरण में भी देखने को मिली, तो झामुमो शेष बचे पदों पर भी सर्वाधिक संख्या अपने पक्ष में कर सकती है. यद्यपि भवनाथपुर और विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा में कोई गुटबाजी नहीं देखने को मिली है. इसलिये संभव है कि इन क्षेत्रों से भाजपा के अधिक प्रत्याशी जीत दर्ज कर सकते हैं. लेकिन यह तो 31 मई को मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा.
यद्यपि इसके अलावे कांग्रेस, भाकपा माले जैसी पार्टियां भी हैं, जिनके मजबूत नेता जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ रहे हैं. उनकी भी निगाह जिप अध्यक्ष पद पर टिकी हुई है. कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अरविंद तूफानी रमना से तो भाकपा माले नेत्री सुषमा मेहता डंडा से स्वयं जिला परिषद सदस्य के लिये चुनाव लड़ रहे हैं. इनके समर्थित उम्मीदवार अन्य प्रखंडों में भी हैं. इसलिये चुनाव परिणाम के बाद आंकड़ों के खेल में दलीय गठबंधन की जरूरत पड़ी, तो इससे भी परिणाम पर असर पड़ सकता है. बहरहाल सबकी निगाहें 31 मई के मतगणना पर टिकी हुई हैं. सभी दलों में इस समय यही चर्चा का विषय बना हुआ है.
Report : Vinod Pathak