रांची : ग्रामीण कार्य विभाग में बिना पद स्वीकृति के ही वर्ष 2012 में एमआइएस कंसल्टेंट की नियुक्ति की गयी. ग्रामीण विकास विभाग को अब जाकर दस साल बाद इस गलती का पता चला. जिसे सुधारने के लिए विभाग ने पद स्वीकृत कराने के बाद नये सिरे से नियुक्ति का फैसला किया है. अब इस निर्णय से एमआइएस कंसल्टेंट की नौकरी खतरे में पड़ गयी है. इसकी वजह नौकरी पाने की उम्र सीमा का खत्म हो जाना है. विभाग की गलती का खामियाजा दूसरे व्यक्ति को उठाना पड़ रहा है.
राज्य के तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री सुदेश महतो के अनुमोदन के आलोक में ‘मैनेजमेंट इनफॉर्मेशन सिस्टम(एमआइएस)कंसल्टेंट’ के पद पर नियुक्ति करने का फैसला किया गया. नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया. इसमें आवेदक के पास एमसीए की डिग्री और पांच साल का अनुभव होने की शर्त लगायी गयी.
अधिकतम उम्र सीमा 40 साल निर्धारित की गयी. नियुक्ति के लिए 31 अक्तूबर 2012 को इंटरव्यू की तिथि निर्धारित की गयी थी. इंटरव्यू में शामिल 10 लोगों की सूची बनाकर विभाग को भेजी गयी. सूची में सबसे पहला नाम राजीव कुमार का था. उन्हें इंटरव्यू के आधार पर 55% अंक मिले थे, जो सभी आवेदकों से ज्यादा था. इंटरव्यू में शामिल हुए श्रीश वैभव व वीरेंद्र गौतम को अयोग्य घोषित कर दिया गया था. विभाग ने इस सूची के आधार पर सबसे ज्यादा नंबर पानेवाले राजीव को संविदा पर एमआइएस कंसल्टेंट के पद पर नियुक्त किया.
31 नवंबर 2012 को जारी नियुक्त पत्र में इसका उल्लेख किया गया कि नियुक्ति की अवधि एक साल के लिए होगी. कार्य संतोषप्रद पाने पर अवधि विस्तार किया जायेगा. इस प्रावधान के आलोक में राजीव को लगातार नौ बार अवधि विस्तार दिया गया. अप्रैल 2022 में जब 10वीं बार अवधि विस्तार की प्रक्रिया शुरू हुई , तो अपरिहार्य कारणों से सवाल उठाये गये. इसमें संविदा पर नियुक्त कर्मियों का कार्यकाल सहित दूसरे सवाल उठाये गये. इन सवालों की समीक्षा में पाया कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को संविदा पर अधिकतम तीन साल या 65 साल की उम्र तक काम लिया जा सकता है. यह नियम सेवानिवृत्त कर्मियों की नियुक्ति से जुड़ा है. संविदा पर नियुक्त कर्मियों के लिए नियम प्रभावी नहीं है.
ऐसे कर्मचारियों को कब तक रखा जायेगा, यह निर्धारित नहीं है. समीक्षा में विभाग को जानकारी मिली कि एमआइएस कंसल्टेंट का पद स्वीकृत नहीं है. प्रशासि पद वर्ग समिति से पद स्वीकृत कराये बिना ही वर्ष 2012 में नियुक्ति हुई थी. 10 साल पहले हुई इस गलती का पता लगने के बाद सुधारने का फैसला किया गया. इसके तहत विभाग ने पहले प्रशासी पदवर्ग समिति से पद स्वीकृत कराने और अगर जरूरत हो तो इस पर नये सिरे से नियुक्ति करने का प्रस्ताव तैयार किया. इस प्रस्ताव पर विभागीय मंत्री आलमगीर आलम ने अपनी सहमति दी. इस तरह सेवा विस्तार के लिए शुरू हुई प्रक्रिया सेवा समाप्त करने के फैसले के साथ बंद हो गयी.
कैबिनेट ने पिछले दिनों संविदा पर नियुक्त कर्मचारियों का डीए बढ़ाने का फैसला किया था. इसके आलोक में संविदा पर नियुक्त कर्मचारियों को भी जनवरी 2022 से मंहगाई भत्ता 189% से बढ़ा कर 196 % करना था. कैबिनेट से पारित यह आदेश सभी विभागों में लागू हो चुका है. सिर्फ ग्रामीण विकास विभाग में यह पूरी तरह लागू नहीं हुआ है. संविदा पर नियुक्त विभाग के जिलास्तरीय कर्मचारियों को इसका लाभ मिल रहा है. हालांकि मुख्यालय में संविदा पर नियुक्त कर्मचारियों को अब तक इसका लाभ नहीं दिया गया है.
Posted By: Sameer Oraon