Lucknow: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष एसपी तिवारी, महामंत्री आरके निगम और वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरविंद कुमार ने यूपी सरकार के 6.25 लाख करोड़ के बजट को कर्मचारियों के लिये निराशाजनक बताया है. उन्होंने कहा कि बजट में पुरानी पेंशन व कोविड के समय समाप्त किये गये आधा दर्जना भत्तों की बहाली के लिये कुछ नहीं कहा गया है.
वेतन समिति की रिपोर्ट मार्च 2018 से 7वें वेतन आयोग की विसंगतियों के निराकरण के लिये मुख्य समिति के पास लंबित है. आईसीडीएस, आश्रम पद्धति विद्यालयों सहित विभिन्न विभागों में 10-15 वर्षो से सेवारत संविदा / मानदेय कर्मियों के नियमितीकरण के लिये कुछ किया नहीं गया है. कैशलेस व्यवस्था के लिए फंड मैनेजमेंट, अस्पतालों को सूचीबद्ध करने, स्मार्ट कार्ड बनवाने के बारे में भी व्यवस्था नहीं है. बेसिक शिक्षा कार्मिक विभाग की नियमावली का उल्लंघन कर चतुर्थ श्रेणी के पदों पर उच्च योग्यता वाले कर्मियों का उच्चीकरण कर रहा है.
पंचायती राज सफाई कर्मियों की सेवा नियमावली बनाने, राज्य कर विभाग के कैडर रिव्यू, शिक्षणेत्तर कर्मियों को 300 दिवस के नकदीकरण और शिक्षक पद पर प्रोन्नति देने का इंतजार लगातार बना हुआ है. ग्राम रोजगार सेवकों के लिए अक्तूबर 2021 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणाओं का कोई जिक्र बजट में नहीं है औ न ही कोई वित्तीय प्राविधान किया गया है.
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राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद महामंत्री अतुल मिश्रा, प्रमुख उपाध्यक्ष एवं फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने बजट के प्राथमिक अध्ययन के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कर्मचारियों की मांग थी कि पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए. जिस पर वित्त मंत्री ने कुछ नहीं कहा. कर्मचारियों की मांग थी कि महंगाई भत्ते की 18 माह की फ्रीज धनराशि का भुगतान हो. लेकिन निराश ही हाथ लगी. वहीं निजीकरण, आउटसोर्सिंग की जगह स्थाई रोजगार सृजन करने की आस देख रहे कर्मचारियों को निराशा हुई है.
कैशलेश चिकित्सा अभी तक शुरू नही हो पायी है. इसके लिये आवंटित बजट भी कम है. तकनीकी युग मे एक कार्ड बनाने में सालो का समय लग जाना और अभी तक शुरू भी ना हो पाना अत्यंत सोचनीय है. जिला और महिला चिकित्सालयों को समेकित कर परिवर्तित करते हुए मेडिकल कॉलेज बनाने से स्थाई पदों में कमी हो रही है, जो उचित नहीं है. कर्मचारियों का भविष्य खतरे में है. राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद जल्द ही एक बैठक कर अपनी प्रतिक्रिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजेगा.
वहीं राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद जेएन तिवारी गुट ने भी कहा है कि यूपी के 2022-23 के बजट में कर्मचारियों के लिए बहुत कुछ नहीं है. सरकार ने राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की मांग पत्र में से कुछ मांगों पर जरूर ध्यान दिया है. प्रदेश की 2.20 हजार आशा कार्यकत्रियों को जनवरी 2022 में मुख्यमंत्री ने 3500 रुपये मानदेय फिक्स करने की घोषणा की थी. उसके लिए बजट की व्यवस्था कर दी गई है. आशाओं के लिए 300 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है. इसका लाभ आशाओं को मिलेगा. आशा हेल्थ वर्कर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष कुसुम लता यादव ने इसका स्वागत किया है.
परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने कहा कि माध्यमिक विद्यालयों में 7500 से अधिक पदों को भरे जाने, मेडिकल कॉलेजों में 10 हजार से अधिक पदों को भरे जाने का निर्णय भी स्वागत योग्य है. बजट में 4 लाख लोगों को नौकरी देने की घोषणा भी है. यह घोषणा बेरोजगारों में आशा का संचार करती है, लेकिन अगर यह धरातल पर दिखाई पड़ेगी तभी इसका लाभ मिल पाएगा.
सरकार को आउटसोर्सिंग एवं संविदा जैसी योजनाओं से अलग हटकर नियमित नियुक्तियों पर काम करना होगा. आउट सोर्स संविदा पर रखे जा रहे कर्मचारियों को रोजगार देने की श्रेणी में नहीं गिना जा सकता है. क्योंकि यह सब अस्थाई व्यवस्था है और इससे उनका भविष्य अंधकार में भी हो रहा है. कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता का बजट नहीं आवंटित किया गया है. इससे भी कर्मचारियों को निराशा हुई है। संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की गई है मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि बजट संशोधन पर चर्चा में कर्मचारियों की मुख्य समस्याओं पर जरूर ध्यान दें.
बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए समाज कल्याण विभाग राजकीय आश्रम पद्धति बालिका इंटर कॉलेज रैन बछरावां की एलटी ग्रेड की अध्यापिका अरूणा शुक्ला ने कहा बजट से एलटी ग्रेड के शिक्षकों को नियमितीकरण की बहुत उम्मीद थी. समाज कल्याण के आश्रम पद्धति विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षक 2008 से शिक्षण कार्य कर रहे हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री से बजट संशोधन में इस महत्वपूर्ण बिंदु को शामिल करने की मांग की है.