Pradosh Vrat Niyam and Katha: भगवान शिव के भक्त त्रयोदशी तिथि पर एक दिन का उपवास रखते हैं. इस दिन प्रदोष काल के दौरान पूजा की जाती है, इसलिए व्रत को प्रदोष व्रत के रूप में जाना जाता है. व्रत नियम और कथा जानने के लिए आगे पढ़ें. त्रयोदशी तिथि का दिन भगवान शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है. इसमें एक दिन का व्रत रखा जाता है और महादेव की पूजा प्रदोष काल के दौरान की जाती है. दिलचस्प बात यह है कि जब प्रदोष व्रत शुक्रावर के साथ होता है, तो इसे शुक्र प्रदोष कहा जाता है.
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भक्त को ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर लेना चाहिए.
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स्नान के बाद साफ स्वच्छ कपड़े पहनें.
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ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें.
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प्याज, लहसुन, मांस या अन्य तामसिक भोजन का सेवन न करें.
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तंबाकू और शराब से दूर रहें.
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लड़ाई-झगड़े से दूर रहें.
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जितनी बार हो सके ओम नमः शिवाय का जाप करें.
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प्रदोष काल पूजा करने से पहले फिर से स्नान करें.
प्रदोष व्रत से जुड़ी एक कहानी बताती है कि कैसे एक भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है.
प्रदोष व्रत कथा के अनुसार एक गरीब ब्राह्मण विधवा ने अपने बेटे की देखभाल के लिए भिक्षा मांगी और उसकी जरूरतों को पूरा किया. एक दिन, अपनी विनम्र शरण में लौटते समय, उसने एक दिन एक बच्चे (राजकुमार) को घायल अवस्था में पाया. करुणा और मातृ प्रेम के कारण, महिला घायल राजकुमार को घर ले गई और उसकी बहुत देखभाल की. साल बीत गए, और एक दिन, अंशुमती नाम की एक गंधर्व राजकुमारी ने राजकुमार को देखा (जो एक आकर्षक युवक के रूप में बड़ा हुआ था). और उसे पहली नजर में उससे प्यार हो गया.
कुछ दिनों बाद, अंशुमती अपने माता-पिता के साथ शादी के बारे में चर्चा करने के लिए गरीब ब्राह्मण के घर गई. इसके बाद, भगवान शिव अंशुमती के माता-पिता के सपने में प्रकट हुए और उनकी बेटी की शादी राजकुमार से करने की सिफारिश की. तो अंशुमती के माता-पिता ने भगवान शिव की आज्ञा को आशीर्वाद के रूप में लिया और राजकुमार से अपनी पुत्री का विवाह कर दिया. आखिरकार, राजकुमार ने अपने दुश्मन को हरा दिया और अपने माता-पिता को छुड़ा लिया, जिन्हें बंदी बना लिया गया था. परिणामस्वरूप, उसने अपना खोया राज्य भी जीत लिया. और फिर, कृतज्ञता के रूप में, राजकुमार ब्राह्मण महिला और उसके बेटे को अपने महल में ले गया.
उल्लेखनीय है कि गरीब ब्राह्मण महिला प्रदोष के दिन व्रत हमेशा व्रत रखती थी. वह भगवान शिव की भक्त थी, और आखिर कार उसकी भक्ति फलीभूत हुई. इसलिए, जो लोग प्रदोष पर पूरी आस्था के साथ व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है.