Jawaharlal Nehru Death Anniversary: भारत के इतिहास की बात करें तो देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का निधन आज ही के दिन हुआ था. साल 1964 की शुरुआत से ही उनकी तबीयत में गिरवाट आने लगी थी. जनवरी 1964 में जवाहरलाल नेहरू को भुवनेश्वर में दिल का दौरा पड़ा था. इसके बाद से ही उनकी तबीयत खराब रहने लगी थी. इस साल जवाहरलाल नेहरू का अधिकत्तर काम लाल बहादुर शास्त्री देखते थे. जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर आइए हम आपको उनके आखिरी दिनों के बारे में बताते हैं.
देहरादून की 26 मई को वो शाम आखिरी शाम थी, जब नेहरू को आखिरी बार सार्वजनिक तौर पर देखा गया था. वो बेटी इंदिरा गांधी के साथ हेलिकॉप्टर में चढ़े. हेलिकॉप्टर के दरवाजे पर खड़े होकर हाथ हिलाया. तब राज कंवर ने महसूस किया कि बायां हाथ ऊपर उठाते समय नेहरू के चेहरे पर कुछ दर्द सा उभर आया था. उनकी बेटी इंदिरा उन्हें सहारा देने के लिए खड़ी थी. बाएं पैर के मूवमेंट में भी दिक्कत महसूस हो रही थी. उन्होंने चेहरे पर भरपूर मुस्कुराहट लाने की कोशिश की लेकिन पूरे तौर पर ऐसा कर नहीं पाए.
नेहरू करीब आठ बजे के आसपास दिल्ली पहुंचे. सीधे प्रधानमंत्री हाउस चले गए. रिपोर्ट्स की मानें तो वो थके हुए थे. पिछले कुछ समय वो अस्वस्थ चल रहे थे,लिहाजा उनके रूटीन पर भी इसका असर पड़ा था. वो रातभर करवटें बदलते रहे और पीठ के साथ कंधे में दर्द की शिकायत करते रहे. विश्वस्त सेवक नाथूराम उन्हें दवाएं देकर सुलाने का प्रयास करते रहे.
जवाहरलाल नेहरू को 27 मई को सुबह लगभग 06.30 बजे पैरालिटिक अटैक आया और उसके थोड़े ही देर बाद हार्ट अटैक आया. इसके बाद वह बेहोश हो गए. इंदिरा गांधी ने फौरन डॉक्टरों को फोन किया. 3 डॉक्टर आए और जवाहरलाल नेहरू का इलाज शुरू किया. लेकिन तब तक जवाहरलाल नेहरू का शरीर कोमा में चला गया था.
इलाज का जवाहरलाल नेहरू कोई रिस्पांस नहीं कर रहे थे. डॉक्टरों को मालूम हो गया था कि जवाहरलाल नेहरू के शरीर पर इलाज का असर नहीं हो रहा है. कई घंटों की कोशिश के बाद 27 मई दोबहर 2 बजे जवाहरलाल नेहरू के निधन की अधिकारिक घोषणा की गई.