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Pakistan Economy: दिवालिया होने की तरफ बढ़ रहा पाकिस्तान, विदेशी कर्ज चुकाने के लिए नहीं बचा कैश!

Pakistan Economy: पाकिस्तान की खराब आर्थिक स्थिति के कारण ही हाल ही में सियासी उथल-पुथल भी देखने को मिला था. इमरान खान सरकार को महंगाई न रोक पाने और खराब अर्थव्यवस्था के कारण सत्ता से बाहर होना पड़ा था.

Pakistan Economy: श्रीलंका के बाद अब पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर आगे बढ़ रहा है. दरअसल, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से खत्म हो रहा है और भारत के इस पड़ोसी देश के पास विदेशी कर्ज चुकाने के लिए कैश नहीं बचा है. बता दें कि पाकिस्तान की खराब आर्थिक स्थिति के कारण ही हाल ही में सियासी उथल-पुथल भी देखने को मिला था. इमरान खान सरकार को महंगाई न रोक पाने और खराब अर्थव्यवस्था के कारण सत्ता से बाहर होना पड़ा था.

विदेशी कर्ज चुकाने में पाकिस्तान असमर्थ

उल्लेखनीय है कि इमरान खान के बाद भले ही शहबाज शरीफ पाक के पीएम बन गए. लेकिन, कंगाल पाकिस्तान के हाल खस्ता ही हैं. पाकिस्तान का चालू खाता घाटा बढ़ता ही जा रहा है. ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के पास उतने कैश नहीं है, जिससे वो विदेशी कर्ज चुका पाए. वर्तमान आर्थिक हालात में पाकिस्तान पर दिवालिया होने का खतरा मंडराने लगा है और इस स्थिति से बचने के लिए उसे जल्द ही बड़े विदेशी कर्ज की जरूरत पड़ेगी.

खाली होता जा रहा विदेशी मुद्रा भंडार

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार खाली होता जा रहा है. आंकड़ों पर गौर करें तो दिसंबर, 2017 में पाकिस्तान की सरकार ने एक अरब डॉलर के पाकिस्तान सुकुक बॉन्ड को बेचा था, जिस पर 5.625 फीसदी ब्याज था. हालांकि, अब ऐसे बॉन्ड्स पर ब्याज बढ़कर 27 फीसदी हो गया है. साफ है कि पाकिस्तान तेजी से दिवालिया होने के कगार पर जा रहा है.

जून तक चालू खाता घाटा 3 अरब डॉलर हो जाएगा

पाकिस्तानी अखबार द न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो हफ्तों में पाकिस्तान के डिफॉल्टर होने का खतरा तेजी से बढ़ा है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक, जून 2022 के अंत से पहले पाकिस्तान पर 4.889 अरब डॉलर का बकाया है. इस तरह से पाकिस्तान का चालू खाता घाटा भी बढ़ता जा रहा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष जून के अंत तक पाकिस्तान का चालू खाता घाटा तीन अरब डॉलर हो जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2021 में पाकिस्तान के स्टेट बैंक के पास विदेशी मुद्रा भंडार 20 अरब डॉलर था, जो 9 महीनों में ही ये घटकर 10.1 अरब डॉलर पहुंच गया. बताया जा रहा है कि पाकिस्तान को अगर कोई बहुत बड़ी वित्तीय मदद मिलती है, तभी वो खुद को डिफॉल्टर होने से बचा सकता है.

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