17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Navjot Singh Sidhu road rage case: क्या है 1988 का मामला, जिसमें नवजोत सिंह सिंद्धू को हुई 1 साल की जेल

1988 के एक मामले में पूर्व क्रिकेटर और राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने एक साल की सजा सुनायी है. यह एक गैरइरादतन हत्या का मामला था. जिसमें कथित रूप से सिद्धू की पिटाई से एक बुजुर्ग की मौत हो गयी थी. इससे पहले कोर्ट ने 1000 का जुर्माना लगाकर सिद्धू को छोड़ दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने रोड रेज के एक मामले में क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल की कठोर सजा का ऐलान किया है. अदालत ने पीड़ित परिवार की ओर से 1988 के नवजोत सिंह सिद्धू रोड रेज मामले में सजा के मुद्दे पर पुनर्विचार याचिका पर यह फैसला सुनाया. यह मामला 34 साल पुराना है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 1000 रुपये का जुर्माना लगाकर सिद्धू को छोड़ दिया था. सिद्धू पर गैर इरादतन हत्या का आरोप था.

क्या है पूरा मामला

नवजोत सिंह सिद्धू जब एक सक्रिय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर थे, तब उन्होंने सड़क किनारे एक विवाद के बाद 65 वर्षीय गुरनाम सिंह की कथित तौर पर पिटाई की थी. यह घटना 27 दिसंबर 1988 को हुई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने उनके सिर पर वार किया था, जिससे बाद में उनकी मौत हो गयी. झगड़ा पार्किंग को लेकर हुआ था. मारपीट के बाद पीड़ित 65 साल के गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया था, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

Also Read: Punjab Politics: बग्गा की गिरफ्तारी पर बवाल, सिद्धू भी जंग में कूदे, बोले- पाप कर रहे केजरीवाल और भगवंत
सत्र न्यायालय ने सबूत के अभाव में छोड़ दिया था

सत्र अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला 33 साल से अधिक समय तक चला. पटियाला की सत्र अदालत ने 22 सितंबर 1999 को नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों के अभाव और संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. हालांकि, पीड़ित परिवार मामले को लेकर हाई कोर्ट पहुंच गयी. 2007 में, सिद्धू को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया गया और तीन साल जेल की सजा सुनाई गयी. इसके बाद सिद्धू ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

2018 में सुप्रीम कोर्ट ने 1000 का जुर्माना लगाकर छोड़ा

2018 में सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को चोट पहुंचाने का दोषी ठहराया. लेकिन उन्हें गैर इरादतन हत्या के आरोपों से बरी कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 1,000 रुपये के जुर्माने के साथ रिहा कर दिया था. बाद में, पीड़ित परिवार ने सजा के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की. सिद्धू ने शीर्ष अदालत के पूर्व के आदेश का हवाला देते हुए मामले का दायरा बढ़ाने की मांग वाली याचिका का विरोध किया था, जिसमें कहा गया था कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि पीड़ित की मौत एक ही झटके से हुई थी.

Also Read: नवजोत सिंह सिद्धू को SC ने 34 साल पुराने ‘1988 रोड रेज’ मामले में सुनाई एक साल की सजा
सिद्धू का क्रिकेट करियर शानदार रहा है

सिद्धू ने अदालत से अपनी सजा पर फिर से विचार नहीं करने का आग्रह किया था क्योंकि उनका खेल और राजनीतिक करियर शानदार रहा है. लेकिन अदालत ने समीक्षा की अनुमति दी. सिद्धू ने घटना को ‘एक दुर्घटना, और कुछ नहीं’ कहा था. 2018 की सजा के बाद, सिद्धू ने कहा था कि एक जीवन खो गया था और हर कोई पछतायेगा. लेकिन अदालत का कहना है कि यह एक दुर्घटना थी. मैंने कानून की महिमा को प्रस्तुत किया है और अदालत जो भी कहती है मैं उसका पालन करता हूं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें