23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

स्वच्छ ऊर्जा आवश्यक

भारत में ऊर्जा से संबंधित 122 अरब डॉलर के केंद्र सरकार के आवंटन में से 35 अरब डॉलर स्वच्छ ऊर्जा के लिए निर्धारित किये गये हैं.

जलवायु परिवर्तन और धरती के बढ़ते तापमान के कारण वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक आपदाओं की संख्या बढ़ती जा रही है. इससे मौसम का स्वरूप भी बदल रहा है. अभी हमारे देश के उत्तर, पूर्व एवं पश्चिम के कई क्षेत्र भीषण गर्मी की चपेट में हैं. वनों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं और असमय बारिश औचक बाढ़ का कारण बन रही है. कई अध्ययन इंगित कर चुके हैं कि देश का बड़ा हिस्सा प्रदूषण से प्रभावित है.

ऐसे में कार्बन उत्सर्जन को रोकने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. इसके लिए स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाना होगा. विडंबना यह है कि गर्मी बढ़ने पर या ठंड अधिक होने पर बिजली की मांग बढ़ जाती है, जिसका उत्पादन मुख्य रूप से कोयले से चलनेवाले संयंत्रों में होता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन अधिक होता है. इसी तरह हम वाहनों के लिए जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर हैं. बीते कुछ वर्षों से भारत सरकार स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन पर ध्यान दे रही है.

इस वर्ष मार्च तक हरित ऊर्जा का उत्पादन लगभग 110 गीगावाट तक पहुंच गया है. कुछ वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना की थी, जिसमें अब सौ से अधिक देश शामिल हो चुके हैं. हालांकि भारत को अपने विकास के लिए बड़ी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता है तथा जीवाश्म ईंधनों पर वर्तमान निर्भरता को अचानक रोक पाना संभव नहीं है, फिर भी भारत जलवायु संकट के समाधान के लिए हो रहे वैश्विक प्रयासों के साथ कदम मिलाकर चल रहा है.

ग्लासगो में हुए विश्व जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि 2070 तक भारत का कार्बन उत्सर्जन शून्य हो जायेगा यानी तब तक भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को स्वच्छ ऊर्जा से पूरी कर लेगा. इस दिशा में उल्लेखनीय प्रयत्न हो रहे हैं. ऊर्जा से संबंधित 122 अरब डॉलर के आवंटन में से 35 अरब डॉलर स्वच्छ ऊर्जा के लिए निर्धारित किये गये हैं.

सौर ऊर्जा के साथ पवनचक्कियों को लगाने, हरित हाइड्रोजन उत्पादित करने तथा बैटरी चालित वाहनों को प्रोत्साहित करने पर भी ध्यान दिया जा रहा है. इसी क्रम में प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने तथा कचरे से ऊर्जा उत्पादन करने के उपाय भी किये जा रहे हैं. जलवायु संकट प्राकृतिक संसाधनों के लिए तो समस्या है ही, इससे लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है.

प्राकृतिक आपदाओं से जान-माल का नुकसान होता है. मौसम में बदलाव से कृषि उत्पादन में कमी का अंदेशा है तथा जल संकट भी गंभीर हो सकता है. ऐसे में हर स्तर पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है तथा लोगों को इस संबंध में जागरूक भी किया जाना चाहिए. ऐतिहासिक रूप से इस संकट के लिए विकसित देश उत्तरदायी हैं, लेकिन इसके दुष्परिणाम मुख्य रूप से भारत समेत विकासशील व अविकसित देशों को भोगना पड़ रहा है. इसलिए भारत साझा अंतरराष्ट्रीय पहल के लिए भी प्रयासरत है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें