फलों के राजा आम ने बाजार में दस्तक दे दी है. बिहार में आम की धूम अब फिर से देखी जा रही है. बाजार में कई किस्म के आम उतर गये हैं. हालांकि अभी इनके भाव भी कुछ ऐसे हैं कि बेहद खास लोग ही इसका स्वाद ले रहे हैं. इस बीच लोगों में ये संशय हमेशा रहता है कि बाजार में मिल रहे आम में कौन सा प्राकृतिक रूप से पका हुआ है और कौन सा आम केमिकल की मदद से पकाया गया है. सेहत को लेकर ये जानना आपके लिए भी बेहद जरुरी है.
आम में फाइबर, विटामिन सी, विटामिन ए, एंटीऑक्सीडेंट और कई तरह के मिनरल्स होते हैं, जो आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है. लेकिन कई बार आमों को नकली तरीके से पकाया जाता है. ये दिखने में आपको नेचुरल और ताजा नजर आयेंगे, लेकिन इन्हें खाना हानिकारक होता है.
भागलपुर के जनरल फिजिशियन डॉ विनय कुमार झा कहते हैं कि कई बार आम को पकाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग एफएसएसएआइ द्वारा प्रतिबंधित है. फिर भी लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. इससे बचना चाहिए. इसकी वजह से चक्कर आना, नींद न आना, पेट दर्द, दस्त जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं. कैल्शियम कार्बाइड तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता है.
पके हुए आम की पहचान करना बड़ा ही आसान है. सभी आमों को एक बाल्टी पानी में डाल दें. अगर आम डूब जाते हैं, तो वे स्वाभाविक रूप से पके हुए होते हैं. अगर वे तैरते हैं, तो उन्हें केमिकल से पकाया गया है.
प्राकृतिक रूप से पके आम पूरे पीले नहीं होते. इनका रंग थोड़ा हरा, थोड़ा पीला और थोड़ा सुनहरा होता है. वहीं, कार्बाइड से पके हुए आम एकदम पीले होते हैं. ऐसे आम खरीदने से बचें.
कार्बाइड से पके आम जल्दी काले पड़ने लगते हैं. यह ज्यादा दिनों तक स्टोर नहीं किए जा सकते. वहीं, प्राकृतिक रूप से पके आम जल्दी काले नहीं पड़ते और इन आमों को कुछ दिनों तक ताजा रखा जा सकता है.
कार्बाइड से पकाए गये आम का स्वाद सामान्य रूप से पके आमों से अलग होता है. सामान्य रूप से पके आम से मीठी-मीठी खुशबू आती है, रसायन से पकाए गये आम किनारे से कच्चा और बीच में मीठा होता है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan